मुंबई। दलित नेताओं द्वारा आज बुलाए गए महाराष्ट्र बंद के बीच मुंबई और अन्य हिस्सों से आई हिंसक प्रदर्शन की खबरों के बाद राजनीतिक पार्टियों ने एहतियात बरतते हुए शांति को फिर से बहाल करने की अपील की।पुणे जिले में एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं बरसी मनाए जाने के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर दलित आंदोलनकारी प्रदर्शन कर रहे हैं।राज्य राकंपा अध्यक्ष सुनील ततकारे ने कहा कि इस समय राज्य में शांति और सद्भावना बनाए रखने की जरूरत है।ततकारे ने पीटीआई को बताया, “(राकंपा प्रमुख) शरद पवार पहले ही कह चुके हैं कि हर किसी को कोशिश करनी चाहिए कि यहां शांति और सद्भावना बनी रहे।” शिवसेना नेता नीलम गोर्हे ने कहा कि भीमा-कोरेगांव और राज्य में अन्य जगह हुई हिंसा की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं।उन्होंने कहा, “एक सामाजिक विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है जिसे हमें एकजुट होकर विफल करना होगा।” उन्होंने बताया कि सरकार ने एक न्यायिक जांच का आदेश दिया है और ‘‘हिंसा का मुख्य कारण जांच के बाद स्पष्ट हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी और पुलिस को भीमा-कोरेगांव में फंसे लोगों की मदद करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए थे।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पीटीआई से कहा कि स्थिति को सामान्य बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए।उन्होंने कहा, “केवल जांच कराना पर्याप्त नहीं है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त जज द्वारा जांच होनी चाहिए।”