लखनऊ। उत्तरप्रदेश में प्रचण्ड बहुमत के साथ जीतने वाली भाजपा की नजर अब बसपा और सपा के परम्परागत वोट बैंक पर टिक गई है। भाजपा ने बसपा के जाटव और सपा के यादव वोट बैंकों में सेंधमारी करने और उन्हें पार्टी से जोडऩे के लिए बड़ी तैयारी शुरु कर दी है। इस संबंध में रणनीति भी तैयार कर ली है। यूपी की राजनीति में यादव और जाटव समाज की बड़ी अहमियत है। दोनों समाज करीब तीस फीसदी हैं यूपी में। हालांकि जाटवों में बसपा तो यादवों में सपा का दबदबा है। लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बसपा और सपा के इस वोटबैंक में भारी सेंधमारी की है। विधानसभा चुनाव में करारी हार से तिलमिलाए सपा और बसपा के साथ कांग्रेस लोकसभा चुनाव में महागठबंधन करके भाजपा को चुनौती की तैयारी में लग गए हैं। इसे देखते हुए भाजपा ने भी महागठबंधन के मंसूबों को फेल करने के लिए बसपा और सपा के वोट बैंकों में सेंधमारी की रणनीति में जुट गई है। इन दोनों समाज के वोटरों को भाजपा की तरफ जोडऩे के लिए पार्टी ने सीएम योगी अदित्यनाथ को जिम्मेदारी दी है। यादव समाज में योगी की अच्छी पैठ भी है। जाटव समाज में भी उनका बड़ा सम्मान है। जाटव और बसपा के वोट बैंकों में सेंध लगाने के लिए पार्टी ने बड़े पैमाने पर अंबेडकर जयंती कार्यक्रम मनाने का फैसला किया है। बूथ लेवल तक ये कार्यक्रम होंगे। केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने पर अब भाजपा उत्तरप्रदेश की कमान किसी दलित नेता को सौंपने की है, ताकि दलित समाज को बड़ा मैसेज दिया जा सके। आगामी लोकसभा चुनाव में फिर से एकतरफा जीत के लिए यह पूरी कवायद शुरु हो चुकी है। महागठबंधन की तैयारियों के बीच भाजपा ने भी कमर कसते हुए अपनी रणनीति को अंजाम देना भी शुरु कर दिया है।