जयपुर. प्रदेश सरकार ने जल स्वावलम्बन योजना के अन्तर्गत राज्य कर्मचारियों से एक दिवस का वेतन वसूल किये जाने के समाचार देकर कर्मचारियों को आश्चर्यचकित कर दिया है। सरकार के अव्यवहारिक फैसले से प्रदेश का कर्मचारी ठगा सा महसूस कर रहा है एवं सरकार के प्रति मन ही मन आक्रोशित है।

महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि प्रदेश सरकार निरंकुश हो गयी है तथा कर्मचारियांे को सातवें वेतन आयोग की लाभाकारी सिफारिशें लागू करने के बजाय जेब काटने का कार्य कर रही है। बगैर कर्मचारियों की सहमति के वेतन से राशि काटना कर्मचारी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है एवं सामन्तवादी निर्णय है। प्रदेश में जब-जब अकाल, बाढ़ अथवा अन्य विषम परिस्थितियां उत्पन्न होने पर राज्य के कर्मचारियांे ने स्वंय की प्रेरणा से प्रदेश सरकार की करोडों रूपये देकर मदद की है परन्तु कर्मचारी संगठनों को विश्वास में नहीं लिया जाना सरकार की निरकंुशता को दर्शाता है, जिसका महासंघ विरोध करता है।

उल्लेखनीय है कि गत विधान सभा सत्र में सरकार ने मंत्रियों एवं विधायकों के वेतन एवं भत्ते मात्र 6 मिनिट्स मंे कई गुणा कर दिये जबकि प्रदेश के कर्मचारी विगत 10 माह से आन्दोलनरत है एवं राज्य सरकार से सातवें वेतन आयोग के लिए सडकों पर उतरने के लिए तैयार है। सरकार संवेदनहीन हो गयी है। महासंघ सरकार को चेतावनी देता है कि महासंघ की बगैर सहमति के कर्मचारियों के वेतन से सरकारी योजनाओं के लिए एक रूपया भी काटा गया तो प्रदेश का लाखों कर्मचारी सडको पर होगा।

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