कोलकाता। कट्टरपंथी और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ आगाह करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज कहा कि सीमाई राज्य होने के नाते पश्चिम बंगाल को ऐसे तत्वों के खिलाफ चौकसी बरतनी चाहिए। नेताजी इनडोर स्टेडियम में राज्य सरकार की ओर से आयोजित एक स्वागत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, “सीमाई राज्य होने के नाते बंगाल को कुछ फायदे मिलते हैं। इसकी वजह से उस पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। कट्टरपंथी और चरमपंथी ताकतें, जिनमें कुछ के तार सीमा पार से जुड़े हैं, हमारी लोकतांत्रिक जगहों का लाभ लेना चाह रही हैं। हमें इसके खिलाफ चौकस रहना चाहिए।” इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति कोविंद को सम्मानित किया। कोविंद आज से राज्य के दो दिन के दौरे पर हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद पहली बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर आए हैं। केंद्र की “ऐक्ट ईस्ट नीति” का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पश्चिम बंगाल इस कार्यक्रम के लिए निर्णायक है और यह कार्यक्रम पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार की ओर से शुरू की गई महत्वाकांक्षी ऐक्ट ईस्ट नीति में संपर्क परियोजनाएं निर्मित करना और आर्थिक पहलें करना शामिल है। यह पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देशों के लिए भी आपसी रूप से लाभदायक होगा। बंगाल के लोग इस कार्यक्रम के लिए निर्णायक हैं।” स्वतंत्रता संघर्ष में पश्चिम बंगाल के योगदान की याद करते हुए कोविंद ने कहा कि राज्य इसमें अग्रणी था। 2022 में देश अपनी आजादी के 75 साल पूरा करने जा रहा है और बंगाल को एक “बेहतर भारत” बनाने के प्रयास में अगुवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “साल 2022 में भारत एक आजाद देश के तौर पर अपना 75वां साल मना रहा होगा। यह हमारे लोगों के लिए विकास से जुड़े चंद मील के पत्थरों तक पहुंचने और बेहतर भारत बनाने का अवसर होगा। इसके लिए हमें उसी आदर्शवाद एवं उत्साह की जरूरत है जिसका योगदान हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में किया गया था।” कोविंद ने कहा कि बंगाल देश की राष्ट्रीय पहचान के केंद्र में रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा राष्ट्रगान जन गण मन बंगाल की सरजमीं पर गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था…बंगाल का इतिहास महान रहा है। लेकिन यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल हो।” राज्य के दौरे पर आने के लिए राष्ट्रपति का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “हम अभिभूत हैं। राष्ट्रपति का पद देश में सबसे ऊंचा है। हम चाहते हैं कि आप हमारे मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक एवं सलाहकार बनें।”