Kashmir, problem, inefficient policy, previous, governments, Dr. Alok Bharadwaj, Political Analyst, bjp
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जयपुर। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। गवर्नर ने राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी है। अब गवर्नर के दिशा-निर्देश पर ही कश्मीर में शासन चलेगा। उधर, भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। चौबीस घंटे में चार आतंकियों को मार गिराया है। मंगलवार को भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूट गया था। भाजपा के समर्थन लेने के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। महबूबा के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।

वहीं भाजपा और पीडीपी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। पीडीपी ने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उधर, जम्मू कश्मीर में लगातार हिंसा से निपटने में विफल रहने पर बीजेपी ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की। भाजपा के पदाधिकारी राम माधव ने मंगलवार दोपहर में मीडिया से वार्ता करते हुए पीडीपी से समर्थन वापस लेने की घोषणा की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। भाजपा संसदीय बोर्ड ने समर्थन वापस लेने की राय जाहिर की थी।

राम माधव ने कहा कि कश्मीर में हिंसा रोकने और आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में विफल रही है। जम्मू कश्मीर के विकास के लिए केन्द्र सरकार खूब मदद की, लेकिन जम्मू व लेह में विकास कार्य कम किया महबूबा सरकार ने। कई मुद्दों पर महबूबा सरकार भाजपा की सुन नहीं रही थी। ऐसे में गठबंधन जारी रखना मुश्किल हो गया था। कश्मीर में पत्रकार, जवानों और आम आदमी की लगातार हत्या हो रही थी। समर्थन वापस लेने से पहले गृहमंत्रालय और अन्य एजेंसियों से राय ली है। भाजपा के समर्थन वापस लेने से पीडीपी सरकार अल्पमत में आ जाएगी। किसी दूसरे दल का समर्थन नहीं मिलने पर जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। गवर्नर को कश्मीर की बागडोर संभालनी पडेÞगी।

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