-बाल मुकुन्द ओझा
विश्व मलेरिया दिवस प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है। दुनियाभर में हर साल मलेरिया के लाखों मामले सामने आते हैं। मलेरिया से मरने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा होती है। विश्व मलेरिया दिवस हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम टाइम टू डिलिवरी ज़ीरो मलेरिया : इनवेस्ट, इनोवेट, इंप्लीमेंट रखी गई है। यह थीम कार्रवाई करने और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने के लिए उपलब्ध साधनों और रणनीतियों का उपयोग करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस थीम के पीछे का मकसद लोगों को मलेरिया से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए जागरूक करना है। भारत इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पुरजोर प्रयासशील है। भारत ने हाल के वर्षों में मलेरिया उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर भारत की प्रशंसा की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया उन्मूलन के लिए 11 देशों में विशेष पहल की है। कोरोना के दौरान मलेरिया के मामलों में विश्व में केवल भारत में गिरावट दर्ज की गई। भारत सरकार के अनुसार 2015 से 2022 के बीच मलेरिया के मामलों में 85 प्रतिशत से अधिक की कमी आई और मलेरिया से मौत के मामलों में 83 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की गई। देश में इस सकमकी मौसम परिवर्तन का अनूठा खेल चल रहा है। बेमौसम बारिश के साथ वातावरण में गर्मी, ठण्डऔर नमी का मिलाजुला वातावरण व्याप्त हो रहा है। जिस कारण मच्छरों ने घर घर दस्तक दे दी है जो मलेरिया का मुख्य कारक है। मलेरिया तेज बुखार वाली बीमारी है। यह संक्रमित मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से फैलती है। यह मच्छर साफ पानी में अंडे देती है। इस रोग को फैलाने वाले परजीवी को प्लाज्मोडियम कहते है। देश इस समय जानलेवा वायरस कोरोना से जूझ रहा है। वहीं बारिश और गर्मी में मौसमी बीमारियों के बढने का भी खतरा होने लगता है। देश पहले ही कोरोना महामारी के चपेट में है। ऐसे में हम सभी को मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारियों से सतर्कता और जागरूकता रखनी चाहिए। मलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होती है इसलिए बच्चों से बुजुर्गों तक को मच्छरों से बचाव रखना चाहिए। इसके लिए आप अपने घर के आसपास पानी न भरने दें। बारिश के मौसम में किसी भी कंटेनर आदि में पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कूलर को साफ करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार हमारे देश में मुख्यतः दो प्रकार का मलेरिया पाया जाता है। प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम एवं प्लाज्मोडियम वाईवेक्स। ये मच्छर जब मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तब उसके खून में मौजूद प्लाज्मोडियम को अपने शरीर में खींच लेता है। लगभग आठ से दस दिन तक ये मच्छर मलेरिया फैलाने में सक्षम हो जाता है। यह परजीवी लार के साथ उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। जिससे स्वास्थ्य व्यक्ति भी मलेरिया से ग्रसित हो जाता है। मच्छर प्रजनन के कारण बारिश के दौरान और बारिश के बाद यह रोग अधिक लोगों को होता है। रोगी को समय पर उपचार मिलना आवश्यक है। इलाज मिले तो मलेरिया के लक्षण जल्द ही ठीक होने लगते हैं। पूरी तरह ठीक होने में मरीजों को कम से कम दो हफ्ते का समय लगता है। समय पर इलाज ना मिले तो कई बार ये
बीमारी बार-बार होने की आशंका भी बनी रहती है। सही इलाज नहीं होने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है और कई अन्य तरह की बीमारियां भी घेर लेती हैं। इसलिए हमें पूरी सावधानी रखनी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नेपाल, भूटान, दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, ईरान सहित 25 देशों को मलेरिया मुक्त करने के लिए एक नई पहल ई-2025 शुरु की है जिसका लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 25 और देशों को मलेरिया मुक्त करना है। इस पहल के तहत इन देशों को मलेरिया मुक्त करने के लिए विशेष समर्थन और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेगा। मलेरिया एक वाहक जनित संक्रामक रोग होता है। यह सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है। आंकड़ों पर गौर करें तो अभी भी दुनिया को पूरी तरह मलेरिया मुक्त करने की मंजिल काफी दूर है। जिस तरह से दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है, उसने मलेरिया के खिलाफ जारी जंग पर असर डाला है। आज पूरे विश्व का ध्यान कोरोना से लड़ने पर है। इस बीच अन्य बीमारियों के प्रति चेतना में कमी आई है।