नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: आरएसएस: ने स्थानीय भाषाओं को बढावा देने का समर्थन करते हुए आज कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नीति बनानी चाहिए कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या किसी अन्य भारतीय भाषा में‘‘ ही होनी चाहिए।’’ पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक में सत्तारूढ भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शक ने‘‘ भारतीय’’ भाषाओं के संरक्षण और इन्हें बढावा देने की जरूरत पर एक प्रस्ताव पारित किया।
इसमें कहा गया कि प्रौद्योगिकी और चिकित्सा सहित सभी संकायों की उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यर्थियों के पास स्थानीय भाषाओं का विकल्प होना चाहिए। शिक्षण एवं अध्ययन सामग्री का माध्यम भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध होनी चाहिए। आरएसएस ने नीट और यूपीएससी परीक्षाओं के अब‘‘ भारतीय’’ भाषाओं में भी शुरू होने का स्वागत किया लेकिन कहा कि सभी अन्य प्रवेश परीक्षाओं और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए भी यह विकल्प उपलब्ध होना चाहिए।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में संघ ने कहा, ‘‘ देशभर में प्राथमिक शिक्षा केवल मातृभाषा या किसी अन्य भारतीय भाषा में होनी चाहिए। इसके लिए, अभिभावकों को भी अपना मन बनाना चाहिए और सरकार को इस संबंध में उचित नीतियां तथा जरूरी प्रावधान करने चाहिएं।’’ आरएसएस ने कहा कि सभी सरकारी और न्यायिक कार्यों में स्थानीय भाषाओं को तरजीह दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी को तरजीह देने के बजाय सभी तरह के कार्यों, पदोन्नति और नियुक्तियों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। स्थानीय भाषाओं के प्रयोग में गिरावट पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि कई भाषाएं और बोलियां विलुप्तप्राय हैं जबकि कई अन्य संकटग्रस्त हैं। संघ ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सभी भाषाओं, बोलियों तथा भारत की लिपियों के संरक्षण और बढावे के लिए असरदार कदम उठाने चाहिएं। संघ ने अपने कार्यकर्ताओं और समाज से अपनी मातृभाषा के संरक्षण तथा इसे बढ़ावा देने के प्रयास करने का आह्वान किया। हालांकि आरएसएस ने कहा कि वह विविध ज्ञान हासिल करने के लिए विश्व की विभिन्न भाषाएं सीखने का समर्थक है।