प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 220 केवी श्रीनगर – अलस्टेंग – द्रास- कारगिल – लेह ट्रांसमीशन सिस्टम को आज राष्ट्र को समर्पित किया। इस कदम से पूरे वर्ष के दौरान लद्दाख को गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इससे पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री ने 12 अगस्त, 2014 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी और 4.5 वर्षों के भीतर, यह परियोजना भारत सरकार की एक नवरत्न कंपनी, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) द्वारा पूरी कर ली गई है। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना का उद्घाटन करते हुए कहा, “हमने विलंब की संस्कृति को पीछे छोड़ दिया है”।
2266 करोड़ रूपये की इस परियोजना के परिणामस्वरूप सर्दियों के दौरान डीजल पैदा करने वाले सेटों के उपयोग में बड़े पैमाने पर कमी आएगी और इस प्रकार प्राचीन लद्दाख क्षेत्र के सुंदर पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलेगी।
श्रीनगर – अलस्टेंग – द्रास- कारगिल – लेह ट्रांसमिशन लाइन के बारे में:
लगभग 3000-4000 मीटर की ऊंचाई पर निर्मित, लगभग 335 किमी लंबी इस ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण पावरग्रिड द्वारा किया गया है। इस परियोजना में द्रास, कारगिल, खलस्ती और लेह में निर्मित चार नए अत्याधुनिक 220/66 केवी गैस इंसुलेटेड सब-स्टेशन हर वक्त 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली सुनिश्चित करने में मदद करेंगे। वित्त पोषण प्रावधान 95:05 (भारत सरकार के 95% और 5% जम्मू और कश्मीर राज्य के हिस्से) के अनुपात में हैं।
क्षेत्र के लिए लाभ:
इस परियोजना के कार्यान्वयन का उद्देश्य लद्दाख में कठोर सर्दियों में लद्दाख के लोगों को बिजली की आपूर्ति करना और ग्रीष्मकाल में एनएचपीसी के कारगिल और लेह हाइडल स्टेशनों की अधिशेष बिजली की निकासी करना था। यह पीएमआरपी योजना के तहत भारत सरकार की एक प्रमुख परियोजना है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़कर जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार करना था।
यह न केवल ग्रीष्मकाल में बिजली निकासी करने में मदद करेगा, बल्कि इस क्षेत्र में सर्दियों में, जब तापमान में गिरावट और हाइड्रो बिजली उत्पादन समरूप नही रहते हैं, बिजली की आपूर्ति करेगा । यह परियोजना किफायती दरों पर लद्दाख क्षेत्र की बिजली की मांग पूरा करेगी।
उचित दरों पर बिजली उपलब्ध होने से लद्दाख के आतिथ्य उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि डीजल सेटों पर उनकी निर्भरता कम हो जाएगी। यह सभी मौसमों में किफायती प्रवास की तलाश कर रहे पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा।
निष्पादन में चुनौतियां:
अप्रत्याशित मौसम की स्थिति में पावरग्रिड द्वारा निष्पादित इस दुस्साध्य कार्य को त्रुटिहीन परियोजना निगरानी कौशल, उच्च टीम भावना और रणनीतिक योजना और आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग द्वारा संभव बनाया गया था। द्रास में न्यूनतम तापमान -40 डिग्री तक नीचे जाने के साथ लाइन लगभग छह महीने तक बर्फ से ढकी रहती है। इसलिए, विशेष रूप से डिजाइन किए गए टॉवर नींव का निर्माण टॉवर नींवों को खोलने के लिए हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) की सहायता से किया गया था, क्योंकि श्रम बल के समक्ष कम ऑक्सीजन स्तरों पर काम करने की चुनौती थी। यह क्षेत्र में रक्षा प्रतिष्ठानों सहित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र को ग्रिड कनेक्टिविटी और विश्वसनीय गुणवत्ता की बिजली आपूर्ति भी प्रदान करेगा।