नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पहली सभा का उद्घाटन किया। इसके साथ ही द्वितीय आईओआरए नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रीस्तरीय बैठक और द्वितीय विश्व नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक बैठक एवं प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अन्तोनियो ग्युतरेस भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 150 से 200 वर्षों के दौरान मानवजाति ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रही है। उन्होंने कहा कि प्रकृति अब सौर, वायु और जल जैसे अन्य विकल्पों की तरफ संकेत कर रही है, जो अधिक टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में जब लोग 21वीं शताब्दी में मानवता के कल्याण के विषय में बात करते हैं, तो अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सूची में सर्वोच्च स्थान पर स्थित है। उन्होंने कहा कि जलवायु के साथ न्याय करने के संदर्भ में यह मंच महान कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ओपेक का स्थान ले लेगा।
धानमंत्री ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तृत उपयोग का प्रभाव भारत में नजर आने लगा है। उन्होंने बताया कि भारत एक कार्य योजना के जरिए पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों द्वारा पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि भारत ‘निर्धनता से शक्ति’ के एक नये आत्मविश्वास का विकास कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा सृजन के साथ ऊर्जा भंडारण भी महत्वपूर्ण होता है। इस संदर्भ में उन्होंने राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत सरकार मांग सृजन, घरेलू निर्माण, नवाचार और ऊर्जा भंडारण पर ध्यान दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर और पवन ऊर्जा के अलावा भारत बायोमास, बायो-ईंधन और बायो-ऊर्जा की दिशा में भी काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में स्वच्छ ईंधन आधारित यातायात प्रणाली विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बायो-कचरे को बायो-ईंधन में बदलकर भारत इस चुनौती को अवसर के रूप में बदलने के लिए कृत संकल्प है।