jaipur. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान का उद्घाटन करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री डॉ.महेश शर्मा भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री संस्थान के परिसर में स्थापित पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे। संस्थान भवन की आधारशिला केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 28 अक्टूबर, 2016 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में रखी थी। पुरातत्व संस्थान (आई) संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का अकादमिक विंग है। संस्थान में छात्रों को सहायक, उत्साहवर्धक और चुनौतीपूर्ण शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वे पुरातत्व के क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमता का दोहन कर पाते हैं। संस्थान पुरातत्व के विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक कार्यशालाओं का आयोजन करता है। इस संस्थान का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों को पुरातत्व के क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है।
लगभग 289 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह अत्याधुनिक संस्थान 25 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। संस्थान का 3 स्टार अल्ट्रा आधुनिक हरित भवन सभी नवीनतम तकनीकों से सुसज्जित है। संस्थान में 1000 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक सभागार है, एक ओपन एयर थियेटर और एक पुरातत्व संग्रहालय है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत पुरातत्व संस्थान (आईए) पुरातत्व और संबद्ध पुरातात्विक गतिविधियों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। 1985 में संस्थान को 24, तिलक मार्ग, नई दिल्ली में एक प्रवासीय घर में और बाद में लाल किला, दिल्ली में स्थानांतरित किया गया था। यह महसूस किया गया था कि प्रशिक्षण प्रदान करने, अनुसंधान, पुरातात्विक और उत्खनन संबंधी अध्ययन / गतिविधियों के लिए संस्थान में स्वयं की बहु-विषयक संस्था की बढ़ती मांग को देखते हुए संस्थान में उपलब्ध स्थान पर्याप्त नहीं है। पुरातत्व और संबंधित गतिविधियों के प्रशिक्षण अनुसंधान और संबद्ध गतिविधियों का पूरी तरह से अध्ययन करने के लिए एएसआई ने ग्रेटर नोएडा में पुरातत्व संस्थान के निर्माण के लिए 4.77 करोड़ रुपये की लागत से 25 एकड़ भूमि खरीदी। वर्ष 1959 में प्रसिद्ध पुरातत्वविद् श्री बी.बी. लाल के निदेशन में एएसआई ने स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी शुरू किया गया था। आर.एन. मिर्धा समिति की रिपोर्ट के अनुसार 1983 में स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी को पुरातत्व संस्थान में तब्दील किया गया था।