नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 सितम्बर को वाराणसी के रमना में 50 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज परिशोधन संयंत्र (एसटीपी) की आधारशिला रखेंगे। यह संयंत्र हाइब्रिड एन्यूटी- मॉडल पर आधारित है। सीवेज क्षेत्र में पहली बार हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल का उपयोग किया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत निर्मल गंगा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह एक बड़ा कदम है। 153.16 करोड़ रुपये की लागत वाले इस संयंत्र के निर्माण, परिचालन व रख-रखाव का कार्य एक कॉन्सोर्टियम को दिया गया है जिसकी अगुवायी एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड नामक कम्पनी कर रही है।
भारत सरकार द्वारा अनुमोदित हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत केन्द्र सरकार इस परियोजना का 100 प्रतिशत खर्च वहन करेगी। इस मॉडल के तहत एसटीपी का विकास, परिचालन और रख-रखाव स्थानीय स्तर पर बनाई गई एक स्पेशल पर्पज विह्कल (एसपीवी) करेगी। इस मॉडल के अनुसार लागत की 40 प्रतिशत राशि का भुगतान निर्माण के दौरान किया जाएगा और शेष 60 प्रतिशत राशि का भुगतान अगले 15 वर्षों के दौरान वार्षिक तौर पर किया जाएगा जिसमें परिचालन और रख-रखाव (ओ एंड एम) का खर्च भी शामिल होगा। इस मॉडल की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि वार्षिक और परिचालन व रख-रखाव (ओ एंड एम) के दोनों भुगतानों को एसटीपी के प्रदर्शन के साथ जोड़ा गया है। इससे संयंत्र के बेहतर प्रदर्शन, स्वामित्व और बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित की गई है।