नयी दिल्ली : पुजहल केंद्रीय कारागार में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी चलन से बाहर हुए नोटों को उपयोग में लाने का काम कर रहे हैं। वे इन टुकड़े-टुकड़े में कटे नोटों को स्टेशनरी के सामान में बदल रहे हैं।एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के विभागों और एजेंसियों में इन स्टेशनरी सामानों का उपयोग हो रहा है।पुजहल केंद्रीय कारागार में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों में से विशेष रूप से प्रशिक्षित 25-30 कैदियों का एक दल यहां हाथ से बने स्टेशनरी यूनिट में ‘फाइल पैड’ कहे जाने वाले स्टेशनरी का निर्माण कर रहा है।
तमिलनाडु जेल विभाग के प्रभारी पुलिस उप महानिरीक्षक ए मुरुगेसन ने पीटीआई…भाषा को बताया, “भारतीय रिजर्व बैंक ने हमें चलन से बाहर हुए टुकड़े-टुकड़े में फटा हुआ 70 टन नोट देने की पेशकश की थी। पुजहल जेल को अब तक इनमें से नौ टन नोट मिले हैं… हम चरणबद्ध तरीके से इन नोटों को लाएंगे।’’ फाइल पैड बनाने में अब तक 1.5 टन प्रतिबंधित नोटों का इस्तेमाल हो चुका है।सजा काट रहे कैदियों को एक महीने में 25 दिन फाइल पैड बनाने का काम दिया जाता है। उन्हें यहां आठ घंटे तक काम करने के लिए 160 रुपये से 200 रुपये तक रोजाना मेहनताना दिया जाता है। मेहनताना इस बात पर निर्भर करता है कि वे कुशल हैं या अर्द्धकुशल हैं।