सरकार ने अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी)/कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस)/ एयर फ्रेट स्टेशन (एएफएस) स्थापित करने हेतु कंपनियों के लिए प्रक्रिया को सरल बना दिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य तेजी से और अधिक पारदर्शी रूप से अनुमोदन प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। इस उद्देश्य के लिए कंपनियां अब ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं और किसी सरकारी कार्यालय में जाये बिना ही अपने आवेदन की प्रग‍ति और अद्यतन स्थिति का ऑनलाइन ही पता कर सकती हैं। इसके अलावा यह केवल बाह्य मंत्रालयी आईटी पहल की अपेक्षा एक प्रमुख अंतर-मंत्रिस्तरीय आईटी आवेदन के रूप में एक अग्रणी प्रयास है।

आईसीडी/सीएफएस/एएफएस स्थापित करने के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में अनेक विभाग शामिल हैं। एक अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति (आईएमसी) के माध्यम से यह सुविधा प्रदान करती है। इस समिति में वाणिज्य, वित्त (राजस्व विभाग), रेलवे और नौवहन के अधिकारी शामिल हैं। यदि आवश्यक हो तो संबंधित राज्य सरकार का विचार भी मांगा जाता है। यह आईएमसी वाणिज्य विभाग में स्थित है जो अनुमोदन प्रक्रिया के लिए एकल खिड़की के रूप में कार्य करता है।

वर्तमान प्रक्रिया में आवेदनकर्ता अपेक्षित दस्‍तावेजों के साथ आवेदन पत्र की दस वस्‍तुगत प्रतियां वाणिज्‍य विभाग, नई दिल्‍ली के बुनियादी ढांचा प्रभाग में जमा करता है। इसके अलावा उसे एक प्रति क्षेत्राधिकार आयुक्‍त सीमा शुल्‍क के पास भी जमा करनी होती है। आवेदन की जांच की प्रक्रिया बहुत लम्‍बी है और आवेदन पत्र बहुत भारी होता है, क्‍योंकि उसके साथ लगभग 500 से 1000 पृष्‍ठों की प्राथमिक सामग्री संलग्‍न होती है।

अनुमोदन प्राप्त होने पर आवेदक को अनुमोदन की तिथि से एक वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचा स्थापित करना आवश्यक है। पार्टी द्वारा इस कार्य में की गई देरी के औचित्य की समीक्षा करने के छह महीने का और समय दे सकती है।

आवेदक ने आवश्यक बुनियादी ढांचे को स्थापित किया है तो उसे क्षेत्राधिकारी आयुक्‍त सीमा शुल्क के सुरक्षा मानकों की पुष्टि करनी होती है और सीमा शुल्क विभाग को बैंक गारंटी के साथ एक बांड देना होता है। सीमा शुल्क विभाग द्वारा अंतिम मंजूरी और सीमा शुल्क अधिसूचना जारी की जाती है उसके बाद सुविधा परिचालन की घोषणा की जाती है।

हितधारकों द्वारा अक्‍सर यह शिकायतें की जाती हैं कि मैन्युअल प्रक्रिया बहुत जटिल है और इससे न केवल दस्तावेजों को नुकसान होता है बल्कि विभिन्न एजेंसियों विभागों द्वारा विभिन्न मंजूरियों की स्थिति के बारे में पारदर्शिता का अभाव रहता है। इसलिए विभिन्न हितधारकों की लगातार मांग है कि इन प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए। इस कारण वाणिज्य विभाग ने इस परियोजना की शुरूआत की  और आवेदकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है।

इस दृष्टिकोण की माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाये गए “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के आदर्श वाक्‍य के तहत कल्‍पना की गई थी।

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