जयपुर। ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) कोटा से पूर्व राजस्थान की निजी मंडियों के प्रमोटर्स को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। कृषि विभाग के आदेश के अनुसार निजी मंडियों केे प्रमोटर्स अब शुरूआती तीन वित्तीय वर्षों तक मंडी शुल्क का 60 प्रतिशत रख सकेंगे। इससे पूर्व ये प्रमोटर्स मंडी शुल्क का मात्र 20 प्रतिशत ही रख सकते थे। अगले दो वित्तीय वर्षों में वे मंडी शुल्क का 50 प्रतिषत और इसके पश्चात् मंडी शुल्क का 40 प्रतिशत रख सकेंगे। राजस्थान सरकार की प्रमुख शासन सचिव नीलकमल दरबारी ने कहा कि मंडी इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रमोटर्स की ओर से मंडी शुल्क को बढ़ाए जाने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही थी। ‘ग्राम 2016‘ के दौरान मंडी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए 1,100 करोड़ रूपए से अधिक निवेष के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस नए आदेष के साथ अब इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन को गति मिलेगी। दरबारी ने आगे कहा कि निजी ऑपरेटरर्स के आने से किसान अपनी उपज को और अधिक शीघ्रता से बेच सकेंगे और पीक सीजन के दौरान उन्हें 3 से 4 दिनों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इससे निजी एवं सरकारी मंडियों के मध्य आपसी प्रतिस्पर्धा होने से किसानों को अब बेहतर सेवाओं का लाभ भी प्राप्त हो सकेगा।