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राजस्थान के उदयपुर की पॉक्सो कोर्ट ने रेप से जुड़े एक मामले में पीडि़ता को ही तीन महीने की सजा सुनाई। कोर्ट ने यह सजा इसलिए दी कि पीडिता युवती ने कोर्ट में झूठी जानकारी दी और अपने बयान से मुकर गई। कोर्ट ने युवती को झूठे आरोप में फंसाने का दोषी मानते हुए ना केवल तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई, बल्कि उस पर पांच सौ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट का यह फैसला वर्तमान परिपेक्ष्य में काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि किसी से दुश्मनी निकालने, नाराजगी होने या ब्लैकमेलिंग के लिए किसी पर भी रेप करने, रेप का प्रयास करने या छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाना आम बात हो गई है। रोज ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। एक बार मामला दर्ज होने के बाद बेगुनाही की जिम्मेदारी उस पक्ष पर आन पड़ती है, जिसने कुछ नहीं किया और उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए तमाम जतन करने पड़ते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा को आंच पहुंचती सो अलग। रेप, छेड़छाड़ जैसे गंभीर प्रवृत्ति के मामलों में झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ उदयपुर कोर्ट का फैसला काफी महत्वपूर्ण है। इस फैसले से उन लोगों पर अकुंश लगेगा, जो पहले तो कोर्ट व पुलिस थानों में झूठी गवाही देकर मामला दर्ज करवाते हैं। फिर बाद में बयानों में अपने ही बयानों से मुकर जाते हैं और किसी भी तरह के अपराध होने से इनकार कर देते हैं। तीन महीने की सजा पाने वाली युवती ने भी आरोपी पर नशीला पदार्थ पिलाकर रेप करने का आरोप लगाया। पुलिस व कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष भी यही बयान युवती ने दिए। बाद में जिरह के दौरान युवती ने शपथपूर्वक दिए गए अपने ही बयानों से मुकर गई। उलटे पुलिस पर झूठा मुकदमा दर्ज करवाने का दोष मढ़ दिया। युवती की रिपोर्ट पर युवक को छह महीने तक जेल काटनी पड़ी। समाज में प्रतिष्ठा धूमिल हुई, सो अलग। कोर्ट कचहरी व वकील करने में हजारों लाखों रुपये लग गए। ऐसे झूठे मामलों से हर साल हजारों लोगों को बिना वजह जेल की हवा खानी पड़ती है। हालांकि अधिकांश मामले में वे बरी हो जाते हैं, लेकिन जब तक ट्रायल पूरी नहीं हो जाती है तब तक उन्हें जेल व दूसरी सामाजित यातनाएं झेलनी पड़ती है। इस फैसले से निश्चित ही झूठा केस दर्ज करवाने वालों पर अकुंश लगेगा। कोर्ट को भी चाहिए कि झूठा केस साबित होने, बयानों से मुकरने और जांच में केस झूठा पाए जाने पर रिपोर्टकर्ता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिए। तभी झूठे केसों की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। साथ ही पुलिस थानों व कोर्ट में अनावश्यक ऐसे झूठे मामले आना बंद होंगे। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल देश में लाखों मामले जांच के बाद झूठे पाए जाते हैं। रेप जैसे गंभीर मामलों में तो बीस से चालीस फीसदी तक मामले झूठे पाए जाते हैं। कुछ महीने पहले राजस्थान पुलिस के महानिदेशक ने बयान दिया था कि राजस्थान में रेप के तीस फीसदी से अधिक मामले जांच में झूठे पाए गए। सरकार को चाहिए कि केस झूठा पाए जाने पर पुलिस स्तर पर ही झूठी रिपोर्ट देने वाले के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाने के प्रावधान अनिवार्य कर दिए जाए। इससे प्रारंभिक स्तर पर झूठे मामलों पर रोक लग सकेगी।

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