नई दिल्ली। आखिरकार पिछले कई महीनों से विपक्ष के आरोपों से घिरी केंद्र सरकार ने राफेल डील से संबंधित दस्तावेज सोमवार को सार्वजनिक कर दीं। पिछले कई माह से सरकार के ऊपर से यह दबाव था कि वह राफेल विमान की खरीद के बारे में जानकारी सार्वजनिक करे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सरकार उसकी कीमत बताए। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी लगातार सरकार पर हमलावर हो रहे हैं। सरकार पर आरोप लगा रहे हैं की सरकार ने कम कीमत का विमान ज्यादा कीमत में खरीदा है मगर अब सरकार ने राफेल विमान खरीद की जानकारियां जिसमें केंद्र सरकार की ओर से विमान खरीद की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज भी शामिल हैं याचिककतार्ओं को सौंप दिए गए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राफेल विमानों की कीमतों के बारे में मांगी गई जानकारी पर अपना जवाब भी सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया। केंद्र सरकार की ओर से याचिकाकतार्ओं को सौंपे गए दस्तावेजों में कहा गया है कि राफेल की खरीद में सभी प्रकियाओं का पालन किया गया। सरकार ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए फ्रांस सरकार से करीब एक साल तक बात चली। सरकार ने दस्तावेजों में यह भी कहा कि कैबिनेट कमिटी आॅन सिक्यॉरिटी (सीसीएस) से अनुमति लेने के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस दस्तावेज का शीर्षक ’36 राफेल विमानों की खरीद में फैसले लेने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी’ है।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि आॅफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं है। नियमों के मुताबिक विदेशी निमार्ता किसी भी भारतीय कंपनी को बतौर आॅफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र है। यूपीए के जमाने से चली आ रही रक्षा उपकरणों की खरीद प्रकिया के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का ही पालन किया गया है। इसमें कहा गया है कि जब भारतीय वातार्कारों ने 4 अगस्त 2016 को 36 राफेल जेट से जुड़ी रिपोर्ट पेश की, तो इसका वित्त और कानून मंत्रालय ने भी आकलन किया और सीसीएस ने 24 अगस्त 2016 को इसे मंजूरी दी। इसके बाद भारत-फ्रांस के बीच समझौते को 23 सितंबर 2016 को अंजाम दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के 31 अक्टूबर के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने याचिकाकतार्ओं को यह दस्तावेज उपलब्ध कराया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि राफेल विमान खरीद की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 14 नवंबर को करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की कीमतों के बारे में भी केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी। बेंच ने अटर्नी जनरल से कहा था कि यदि यह विवरण इतना ह्यविशेषह्ण है और इसे न्यायालय के साथ भी साझा नहीं किया जा सकता है तो केंद्र को ऐसा कहते हुए हलफनामा दाखिल करना चाहिए। बेंच ने वेणुगोपाल से अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा, ह्ययदि कीमतें विशेष हैं और आप हमारे साथ इन्हें साझा नहीं कर रहे हैं तो ऐसा कहते हुए हलफनामा दायर कीजिए।’ बेंच ने यह भी कहा कि गोपनीय और रणनीतिक महत्व वाली जानकारियों को बताने की जरूरत नहीं है।