delhi. भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पहले पांच राफेल विमान वायु सेना स्टेशन, अंबाला पहुंचे हैं। विमानों ने 27 जुलाई 2020 की सुबह दसौं एविएशन फैसिलिटी, मेरिग्नैक, फ्रांस से उड़ान भरी और आज दोपहर भारत पहुंचे। यात्रा के दौरान विमान, संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रुके थे।
यात्रा की योजना दो चरणों में तैयार की गई थी और इसे भारतीय वायुसेना के पायलटों द्वारा संचालित किया गया था। विमानों ने फ्रांस से भारत तक लगभग 8500 किमी की दूरी तय की। उड़ान के पहले चरण में साढ़े सात घंटे में 5800 किमी की दूरी तय की गयी। फ्रांसीसी वायु सेना (एफएएफ) के टैंकर ने उड़ान के दौरान समर्पित एयर-टू-एयर ईंधन भरने की सुविधा दी। 2700 किमी से अधिक दूरी की उड़ान के दूसरे चरण में, वायुसेना के टैंकर द्वारा एयर-टू-एयर ईंधन भरा गया। भारतीय वायु सेना, समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए फ्रांस सरकार और फ्रांस के उद्योग द्वारा दिए गए सक्रिय समर्थन की सराहना करती है। उड़ान के दौरान फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा दी गयी टैंकर सुविधा महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे लंबी उड़ान सफलतापूर्वक और समयबद्ध तरीके से पूरी हुई।
विमान 17 स्क्वाड्रन, “गोल्डन एरो” के हिस्से के रूप में शामिल होंगे, जिसे 10 सितंबर 19 को पुनर्गठित किया गया था। स्क्वाड्रन को मूल रूप से वायु सेना स्टेशन, अंबाला में 01 अक्टूबर 1951 को स्थापित किया गया था। कई उपलब्धियां ऐसी हैं जो पहली बार 17 स्क्वाड्रन के द्वारा हासिल की गयी हैं; इसे 1955 में पहला जेट फाइटर, डी हैविलैंड वैम्पायर मिला। अगस्त 1957 में, स्क्वाड्रन एक स्वेप्ट विंग लड़ाकू विमान, हॉकर हंटर में परिवर्तित होने वाला पहला स्क्वाड्रन बना।
17 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल करने का औपचारिक समारोह अगस्त 2020 के दूसरे पक्ष में आयोजित किया जायेगा। समारोह का विवरण नियत समय पर सूचित किया जाएगा।