लखनऊ। वर्चस्व की लड़ाई को लेकर बाप-बेटे के बीच समाजवादी पार्टी में छिड़े महासंग्राम के बाद अब एक बार फिर पार्टी में कलह की स्थिति पैदा हो गई है। मामला इस बार पार्टी की कमान संभालने को लेकर सामने आया है। इस कवायद को बल इस बात से भी लेकर मिला है कि मंगलवार को अखिलेश गुट ने जो पार्टी की जो बैठक बुलाई उसमें मुलामय सिंह सहित शिवपाल और आजम खान कोई भी पहुंचा। ऐेसे में बुधवार को मुलायम सिंह गुट की होने वाली बैठक को भी टाल दिया गया। इन सबके बीच इस बात को लेकर भी चर्चाओं का दौर रहा कि अखिलेश को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष चुनने का अधिकार दिया गया तो रामगोविंद चौधरी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए। जबकि मुलायम सिंह का इस मामले में कुछ ओर ही फैसला था। वे आजम खान को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते थे। जिससे यह कलह की स्थिति सामने आई। वैसे पार्टी की इसी कलह का परिणाम रहा कि सत्ता में रहने वाली सपा आज अपने दूसरे रुप में है। जहां उसके मात्र 47 विधायक ही चुनाव जीत पाए। स्थिति से उबरना तो दूर अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर उठा पठक देखने को मिल रही है। मुलायम गुट ने चुने गए विधायकों को 29 मार्च को आमंत्रित किया गया, लेकिन अखिलेश ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर 27 मार्च को ही रामगोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त कर दिया। चर्चा यह भी है कि अखिलेश सपा के संविधान में संशोधन का प्रयास कलह का सबब बन सकता है। इधर जानकार यह भी कह रहे कि परिवार की कलह अगर घर से बाहर आई तो परिवार के सदस्य नया विकल्प भी तलाश सकते हैं। हाल ही मुलायम के दूसरे नम्बर के पुत्र प्रतीक यादव व पत्नी अपर्णा सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर आए तो पत्नी साधना गुप्ता भी नेताजी के अपमान को लेकर नाराज दिखी।
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