-राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा में क्लीन स्वीप होने वाली राजस्थान कांग्रेस में जान फूंकने की तैयारियां परवान चढऩे लगी है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए पार्टी आलाकमान राजस्थान में संगठन स्तर पर बड़ा आमूलचूल परिवर्तन की कवायद में है। वहीं उन जातियों को फिर से साधकर पार्टी से जोडऩा चाहती है, जो लोकसभा व विधानसभा चुनाव में हाथ का साथ छोड़कर कमल खिलाने भाजपा में चली गई। प्रदेश में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव हैं और उसके छह महीने बाद लोकसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों को फतह करने के लिए वैसे तो प्रदेश कांग्रेस का पूरा फोकस है, लेकिन बड़े नेताओं की आपसी कलह और गुटबाजी के चलते पार्टी आलाकमान को अंदेशा है कि पार्टी कहीं इन चुनावों में शिकस्त ना खा जाए। इसके लिए वह पूरी तैयारियां और सभी नेताओं को साधकर कदम उठा रही है। पार्टी को मजबूती देने के लिए पूर्व प्रभारी गुरुदास कामत के इस्तीफे के बाद उस टीम को राजस्थान के प्रभार की जिम्मेदारी दी गई है, जिसने 2008 के चुनाव से पहले भी राजस्थान का मोर्चा संभाला था और पार्टी को विजय दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी आलाकमान ने उस टीम पर भरोसा जताते हुए पूर्व सांसद अविनाश पांडे को राजस्थान प्रभारी बनाया है, साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता विवेक बंसल, विवेक कुमार, देवेन्द्र यादव और काजी निजामुद्दीन को सह प्रभारी लगाया है। पांडे, बंसल पहले भी राजस्थान का कार्यभार देख चुके हैं। प्रभारी बनाए जाने के बाद पीसीसी चीफ के बदलाव की तैयारियां है। वर्तमान पीसीसी चीफ सचिन पायलट वैसे तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भरोसेमंद है और गत तीन साल से पार्टी को खड़ा करने में महती भूमिका भी निभा रहे हैं। लेकिन लगता है कि पार्टी के बड़े नेताओं का साथ उन्हें मिल नहीं पा रहा और ना ही प्रदेश की बड़ी जातियों को साध पा रहे हैं। खासकर जाट, एसटी, एससी जातियों में सचिन पायलट सर्वमान्य नेता नहीं बन पाए हैं। जबकि ये जातियां ही कांग्रेस की जान हैं और प्रदेश की सत्ता में वापसी की सीढिय़ां भी। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जाट, एसटी-एससी वर्ग के मतदाताओं ने कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा को भरपूर समर्थन दिया। एससी कोटे में एक भी सीट कांग्रेस जीत नहीं पाई। जाट व एसटी में नाम-मात्र की सीटें जीती। वैसे 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त हुई थी। मात्र 21 विधायक ही जीत पाए। कांग्रेस की हार के पीछे पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर तो एक बड़ा कारण थी, साथ ही कांग्रेस की परम्परागत वोट बैंक जाट, मीना, एससी वर्ग का छिटकर भाजपा में जाना रहा है। गत तीन साल में वैसे तो पार्टी इस वोट बैंक को साधने में लगी है, लेकिन पार्टी आलाकमान को अंदेशा है कि राजस्थान की सबसे बड़ी जाति समूह जाट, एसटी-एससी वर्ग के मतदाता को पार्टी अपने साथ जोड़ पाने में सफल नहीं हो पा रही है। ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत आदि सवर्ण जातियां तो एक तरह से कांग्रेस से कटी हुई सी लगती है। इन्हें भी पार्टी से जोडऩे का कोई विशेष कार्यक्रम और नीति नहीं दिखी। गुटबाजी इतनी है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व पीसीसी चीफ सी.पी.जोशी समेत अन्य एक्टिव गुटों का साथ पीसीसी चीफ सचिन पायलट को नहीं मिल पाया। पायलट का विरोधी खेमा उन्हें हटाकर खुद या अपने समर्थकों को पीसीसी चीफ बनाने की कवायद में लगा है। हालांकि पायलट की स्वच्छ छवि और कार्य निष्ठा को देखते हुए आलाकमान उन पर भरोसा जमाए हुए हैं, लेकिन उन्हें यह भी डर है कि अगर सभी गुट मिलकर नहीं चलें तो पार्टी डेढ़ साल बाद होने वाले चुनाव में वापसी नहीं कर पाएगी। पार्टी आलाकमान की सोच है कि राजस्थान में कांग्रेस का कैडर मजबूत है। अगर सही नेतृत्व और कार्यक्रमों के साथ पार्टी चलें तो भाजपा सरकार को विधानसभा चुनाव में पटखनी दे सकती है। वैसे भी पार्टी का मानना है कि राजस्थान की भाजपा सरकार की छवि जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में ठीक नहीं है। ऐसे माहौल को पार्टी भुनाना चाहेगी। ऐसे में अब पार्टी की नजर प्रदेश नेतृत्व ऐसे हाथ में देना चाहती है, जिससे पार्टी मजबूती से आगे बढ़े सके और खोये हुए जनाधार और वोट बैंक को फिर से जोड़ सके।
– इन जाट नेताओं पर खेल सकती हैं दांव
राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस आलाकमान जाट नेताओं पर दांव खेल सकती हैं। प्रदेश कांग्रेस की कमान किसी अनुभवी और सर्वमान्य जाट नेता को दे सकती हैं, ताकि इस किसान कौम को फिर से साधा जा सके और पार्टी से जोड़ा जाए। राजस्थान में करीब 18 फीसदी जाट समुदाय है। विश्नोई, सीरवी, जट सिख जैसी किसान जातियों का जाट समुदाय के साथ अच्छे व मधुर संंबंध हैं। राजस्थान के 33 जिलों में से करीब पन्द्रह जिलों में जाट समुदाय का खासा प्रभाव है। 200 विधानसभा सीटों की 80 सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं। ऐसे में इस किसान कौम को साधने के लिए राजस्थान के वरिष्ठ जाट नेताओं से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मिल रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा, पूर्व सांसद हरीश चौधरी, लालचंद कटारिया, राज्यसभा सांसद नरेन्द्र बुढ़ानिया से राहुल गांधी मिल चुके हैं। ऐसे संकेत हैं कि इन जाट नेताओं में से किसी को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद की अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। राजस्थान के बड़े नेताओं का समर्थन भी इन्हें मिला हुआ है। वे अंदरखाने अपने अपने नेताओं को पीसीसी चीफ बनाने की कवायद में लगे हैं। ये बड़े नेता इसलिए इनके साथ लगे हैं कि आपसी गुटबाजी के चलते संभवतया: उन्हें जिम्मेदारी नहीं मिल पाए, ऐसे में पार्टी में पूरा दखल रखने के लिए अपने समर्थकों का नाम आगे बढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अशोक गहलोत और सीपी जोशी गुट पूर्व मंत्री व सांसद लालचंद कटारिया तो सचिन पायलट गुट पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा को पीसीसी चीफ बनाने की लॉबिंग में लगे हैं। रामेश्वर डूडी, हरीश चौधरी और नरेन्द्र बुढ़ानिया अपने स्तर पर पीसीसी चीफ बनने के लिए एक्टिव हैं, हालांकि पर्दे के पीछे ये भी तीनों गुटों के सम्पर्क में है। पार्टी आलाकमान एसटी-एससी वर्ग के नेताओं को भी प्रमुख जिम्मेदारी देंगी। वहीं सवर्ण जातियों को साधने के लिए यहां के बड़े नेताओं को भी राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर बड़ा पद मिल सकता है। पार्टी सभी वर्गों को साधकर सत्ता में वापसी की राह देख रही है, जो बड़ी जातियां हैं और कांग्रेस की वोट बैंक रही हैं, उन्हें अहम जिम्मेदारी देने के मूड है। भविष्य में राजस्थान कांग्रेस में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। देखना है कि इस बदलाव में कौनसा गुट हावी रहता है।
जातिवाद की राजनीति से बचना चाहिए
धन्यवाद
जाट किसी के बहकावे में आने वाले नही अब। जाट, दलित और मुस्लिम मिलकर 2018 में प्रदेश में नए समीकरण तैयार करेंगे।
रामेश्वर जी डूडी को cm पद का प्रत्याशी घोषित करने से जाट खुश हो सकते है और कांग्रेस राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 जीत सकती है ।
अगर कांग्रेस पार्टी ने ऐसा कोई निर्णय लिया तो यह उनके लिए आत्मघाती हो सकता हैं। जाट जाति से वैसे ही नेता प्रतिपक्ष बना रखा हैं। सचिन पायलट अभी पूरी ईमानदारी, तन,मन,धन से कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं।
ऐसा कोई निर्णय लेने की जरूरत नहीं हैं। सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में मजबूत हो रही हैं
पूरे प्रदेश की जनता आशा भरी नजरों से सचिन पायलट साहब की ओर देख रहीं हैं और सचिन पायलट साहब का नेतृत्व सभी सर्वमान्य हैं। प्रदेश की जनता को सचिन पायलट साहब से बड़ी उम्मीद हैं।
ramesavr ji dudi ko kman some kar beniwal ji ko bhi sath Le sakte h
Jat samaj ka aek hee sarvamaanyaa neta hai shri NARAYAN singh .jo purva me p c c chief rah chuke hai aur apani saarthakata saabit kar chuke hai. Vahi aaj bhi prasangik hai
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Rajasthan ma Congress Pcc Chief Sachin Paylat bohat mahanti nata he Inka leadership ma Congress 2018 ma election jetagi
Sachin pailot best C.M
अगर काँग्रेस पार्टी ये फैसला लेती है तो , यह फैसला आत्मघाती सिद्द होगा , क्योकि सचिन पायलट से अच्छा नेता कोई नही हो सकता मुख्यमन्त्री पद के लिए
राजस्थान मे अशोक गहलोत को कमान दें।
* श्री लाल चंद कटारिया जी को राजस्थान का CM पद के लिए प्रत्याशी घोषणा करने पर
सर्व धर्म सर्व जाति
जाट नेता के साथ में रहेगी ,””
धन्यवाद आप का अपना
समाज सेवक
रामसिंह पहलवान जयपुर
Ye news kori afwah hai congress me gutbazi failane ke ,
haqiqat to yhi hai ki pcc chief sachin pilot hi rahenge or C.M ka fainsla election ke baad hi hoga