जयपुर. आए दिन किसानों की आत्महत्यांए सुनाई दे रही है। किसानों की लागत में निरन्तर बढोत्तरी होती जा रही है । स्वतंत्रता के 70 वर्षो के बाद भी किसान हितकारी वित्त व्यवस्था न होने के कारण किसान कर्ज के चक्रव्यूह में उलझ चुका है।  सरकार की कुछ नीतियों के कारण श्रमिकों की अनुपलब्धता के कारण किसान परेशान है। सभी कठनाइयांे के बावजुद किसान जैसे-तैसे अपनी उपज उगाता है। किन्तु उस उपज का दाम उपभोक्ता और सरकार दोनों देने को तैयार नही है। इन्ही सारी परिस्थतियों के कारण 50 से अधिक किसान खेती छोडने को तैयार बैठे है। आगे चलकर उनसे देश का खाद्यान सुरक्षा खतरे में पडने की संम्भावना दिखती है। सारी कोशिशों के बावजूद भी जी.डी.पी में कृषि की भागीदारी कम होती जा रही है । इसके कारण ग्रामिणों का पलायन व शहरी व्यवस्था मे असन्तुलन दिख रहा है।
ऐसा नही है कि इस विषय पर चिंतन नही हो रहा है।

बुद्विजीवी, किसान, किसान संगठन, पत्रकार, विशेषज्ञ तथा सदन में भी इस विषय मेें छोटी-मोटी चर्चा होती रही है, किन्तु कोई रास्ता नही निकल रहा है। इसलिए राजस्थान प्रदेश अधिवेशन में भारतीय किसान संघ यह मांग करता है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सारे विधायक अपनी दलगति एवं राजनैतिक भावना से उपर उठकर खेती एवं किसानों से सम्बंधित सारी समस्याओं के बारेे में गंभार एवं सार्थक विचार करते हुए ठोस निर्णय ले। विसंगति पूर्ण एवं एकतरफा बिजली नीति बंद की जाए.  राजस्थान जीएम सरसों बीज को प्रतिबंधित करें. हर खेत तक सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो।

भारतीय किसान संघ राजस्थान के प्रदेश अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित करता है… 
– पीने के पानी के बाद सिंचाई के लिए हर खेत तक पानी प्राथमिकता के आधार पर रखा जाए।
– किसानों के उपज का न्युनतम सर्मथन मुल्य पूरे देश के लिए एक घोषित होता है परन्तु अलग अलग प्रांतो में सिंचाई के प्रकार एवं सिंचाई के साधनों में भिन्नता है जिसमंे एक रूपता लाई जाए।
– अनुभव के आधार पर नदियों का नदियों से जोडना बडी सिंचाई योजनाए लागु करना व लघु सिंचाई परियोजनाओं कोे प्राथमिकता के आधार पर शिघ्र निर्माण किये जाए।
– सांसद निधि एवं विधायक निधि के धनराशि सिंचाई व्यवस्था के निर्माण मंे खर्च हो इसके लिए कानुन में परिवर्तन किया जाए।
– जल ईश्वर का दिया हुआ अमुल्य निधि है भारतीय जन इसे श्रृद्वा पूर्वक ईश्वर की कृपा मानता है जल एवं जल स्त्रोत का व्यवसायिक करण न किया जाए।
– अपूर्ण सिंचाई योजना को शिघ्र पूर्ण किया जाए।

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