जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि संज्ञेय अपराधों के बारे में सूचना मिलने पर एफआईआर को संबंधित थाने में भेजने या मामला गैर-इलाका बताकर अदालत में एफआर पेश करने के संबंध में कानूनी प्रावधान क्या हैं। अदालत ने जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार को 24 जनवरी तक का समय दिया है। न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश अब्दुल रहीम की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता इलियास अली ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के भाई पर जानलेवा हमला हुआ था। जिसकी रिपोर्ट बूंदी के केशवरायपाटन थाने में दर्ज कराई गई। पुलिस ने जांच करने के बाद अदालत में यह कहते हुए एफआर पेश कर दी कि घटना का स्थान रेलवे थाना, कोटा के क्षेत्राधिकार में आता है। निचली अदालत की ओर से एफआर लौटाते हुए अग्रिम जांच के आदेश दिए गए। इस पर पुलिस ने पुन: गैर-इलाका बताते हुए एफआर पेश कर दी। जिसे याचिका में चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया कि संज्ञेय अपराध के बारे में जानकारी मिलने के बाद उसे दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है। यदि घटना संबंधित थाना इलाके में नहीं हुई है तो भी उसे दर्ज कर संबंधित थाने में भेजने का प्रावधान है। वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में कानूनी प्रावधानों की जानकारी अदालत में पेश करने को कहा है।