जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की वृहदपीठ ने व्यवस्था दी है कि यदि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 33(2) के तहत कर्मचारी को निकालने के संबंध में नियोक्ता की ओर से पेश अर्जी को औद्योगिक न्याय अधिकरण खारिज कर देता है और इस आदेश को नियोक्ता हाईकोर्ट में चुनौती देता है तो कर्मचारी मामले के अंतिम निपटारे तक धारा 17(बी) के तहत आखिरी वेतन की सीमा तक अंतरिम राहत प्राप्त करने का अधिकारी होगा। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग, न्यायाधीश वीके व्यास और न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की वृहदपीठ ने यह आदेश इस संबंध में भेजे गए रैफरेंस को तय करते हुए दिए।
मामले के अनुसार औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत यदि कोई नियोक्ता अपने कर्मचारी को जांच कर नौकरी से निकालता है तो इसके लिए उसे अधिकरण से धारा 33(2) के तहत मंजूरी मांगनी होती है। यदि नियोक्ता की अर्जी खारिज हो जाती है तो उसे सेवा में ही माना जाता है। नियोक्ता अधिकरण के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देता है तो कर्मचारी धारा धारा 17(बी) के तहत मामले के अंतिम निस्तारण तक अंतरिम राहत पाने का अधिकार होता है। यह अंतरिम राहत उसके आखिरी वेतन की सीमा तक होती है। इस संबंध में दो अलग-अलग खंडपीठों ने अपना अलग-अलग निर्णय दिया था। ऐसे में इस कानूनी बिन्दु को तय करने के लिए प्रकरण को वृहदपीठ में भेजा गया था।