जयपुर । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि जेएलएन मार्ग सहित शहर के वीआईपी इलाकों में बार-बार रोड बनाई जाती है, लेकिन कॉलोनियों की सडक़ों का कोई ध्यान ही नहीं है। फिर किस स्मार्ट सिटी की बात की जाती है। अदालत ने कहा कि विदेश आकर कहते हैं कि यहां आदमी सुरक्षित नहीं है। देश के लिए इससे बड़ी बदनामी क्या होगी, इसकी चिंता किसी को नहीं है। शहर में आदमी अपनी रिस्क पर घर से बाहर निकल रहा है। न्यायाधीश मनीष भंडारी की एकलपीठ ने यह टिप्पणी शहर में सांड से हुई विदेशी युवक की मौत के बाद लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए की।
सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में नगर निगम और जेडीए के विभिन्न जोन के अधिकारी अदालत में पेश हुए। जेडीए की ओर से शपथ पत्र पेश कर अदालत को बताया गया कि सभी एजेन्सी को केबल से हुए गड्डों को खुला नहीं छोडने के लिए पाबंद कर दिया गया है। इसके अलावा भारी टे्रफिक वाले स्थानों पर प्राथमिकता से मरम्मत की जा रही है। इसके अलावा नियमित कॉलोनियों में संसाधनों के हिसाब से काम हो रहा है। वहीं निगम की ओर से माना गया कि शहर में आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। इनकी संख्या मानसून में बढ़ जाती है। निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि गत छह माह में 6 हजार आठ सौ आवारा पशुओं को पकड़ा गया है। इसके अलावा स्वच्छता पर भी व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। इस पर अदालत ने संतुष्ठता जाहिर करते हुए कहा कि बाकि मुद्दों पर कोई काम नहीं हो रहा है।
दुर्घटना की जिम्मेदारी ली तो देना होगा मुआवजा- अदालत ने कहा कि अधिकतर दुर्घटनाएं गड्डों और आवारा पशुओं के चक्कर में होती हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी नहीं ली जाती। क्योंकि अगर जिम्मेदारी ली तो मुआवजा देना होगा। अदालत ने कहा कि अफसर तो मानते हैं कि वो रोड ही क्या, जिस पर गड्डे नहीं हों। आवारा पशुओं को पकडने में भी भ्रष्टाचार हो रहा है।
सिविक सेंस नहीं तो सख्ती दिखाओ- सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि लोगों में ऐसा सिविक सेंस है कि डब्बे में कचरा डालने की बात करने वाली की पिटाई हो जाती है। सडक़ों पर लगाए डिब्बे भी लोग उठाकर ले जाएंगे। सीवरेज के लोहे के ठक्कन तक तो लोगों ने छोडे नहीं। अदालतें भी उदार होकर छोटी चोरियों पर बडी सजा नहीं देती।
जनता दे रही टूटी सडक़ के लिए टोल- अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि जयपुर-दिल्ली हाईवे का निर्माण 2011 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन दो गुणा से अधिक टोल वसूलने के बावजूद भी जनता को टूटी सडक़े ही मिल रही हैं। पृथ्वीराजनगर के विकास को लेकर दिए आदेश की पालना भी अब तक नहीं हुई है। इसके साथ ही अदालत ने अफसरों की ओर से पेश शपथ पत्रों की कॉपी न्यायमित्र को देने के आदेश दिए हैं।