-2००7 से लम्बित दिल्ली के अब्दुल रसीद मीर का दावा खारिज,पूर्व राजपरिवार की याचिका में अभी हाईकोर्ट का है स्टे
जयपुर। जयपुर के पूर्व राजपरिवार से पट्टे लेकर पर जमीन लेकर उसे माले मार्ग नई दिल्ली निवासी अब्दुल रसीद मीर को बेचने पर कब्जा दिलाने के लिए 2००7 में दायर किए मीर के दावे को एडीजे-9, जयपुर मेट्रो वन्दना राठौड़ ने खारिज कर दिया है। जिससे राजस्थान पुलिस को आमेर तहसील में सड़वा के पास स्थित 5०० बीघा जमीन मिलने की फिर आस बंध गई है। अभी उपरोक्त विवादित भूमि पर राजस्थान हाईकोर्ट की खण्डपीठ का स्टे लगा हुआ है। उपरोक्त 146० बीघा भूमि हनिड्यू रेंज की पूर्व महाराजा की थी। लगान जमा नहीं कराने के कारण राज्य सरकार ने 146० बीघा भूमि को सवाई चक घोषित कर दिया। बाद में 18 जनवरी, 1992 को जेडीए ने उपरोक्त भूमि में से 5०० बीघा भूमि पुलिस को, 8० बीघा भूमि सीआरपीएफ को एवं 5० बीघा भूमि जामिया हिदायत ट्रस्ट को आवंटन किया था।
जेडीए ने आईजी, आयोजना एवं कल्याण के नाम से 5०० बीघा भूमि का आधिपत्य पत्र भी सौंप दिया। आवंटन पत्रों के आधार पर तीनों ने कब्जा भी प्राप्त कर लिया। 2००7 में जमीन पर सम्पत्ति राजस्थान पुलिस के बोर्ड लगाया जाना बताकर अब्दुल रसीद मीर ने राज्य सरकार जरिए गृह सचिव तथा राजस्थान पुलिस जरिए डीजीपी के खिलाफ मुकदमा दायर कर कोर्ट को बताया कि उपरोक्त विवादित भूमि में से 3० बीघा भूमि नाथूसिंह को एक जुलाई 196० को पटटे पर दी थी। नाथूसिंह ने 27 जून, 1988 को उपरोक्त जमीन उसे बेच दी। अब पुलिस उसकी जमीन पर अवैध कब्जा करना चाहती है।
वाद का विरोध करते हुए राज्य सरकार के लोक अभियोजक प्रदीप सिंह चौहान ने कोर्ट को बताया कि उपरोक्त जमीन जेडीए ने दी है। पुलिस ने नापजोख करवा कर तारबंदी कर पत्थरगढ़ी कर पहले ही कब्जा प्राप्त कर लिया था। राजस्थान पुलिस की सम्पत्ति के साईन बोर्ड भी लगे हुए हैं। सुनवाई के दौरान यह भी आया कि 2० सितम्बर, 1963 को पूर्व महाराजा मानसिंह ने उपरोक्त विवादित भूमि में से 13०० बीघा राजमाता गायत्री देवी व मैसर्स एसएमएस इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन कम्पनी को 2० हजार रुपए प्रति बीघा में बेचान कर दिया था। नामान्तरण के प्रयास होने पर भवानी सिंह ने आपत्ति की थी और आज तक निस्तारण नहीं हुआ। हाईकोर्ट में 6 सिविल रिट याचिकाएं पेश की गई। 11 जनवरी, 2०1० को हाईकोर्ट में तत्कालीन न्यायाधीश के.एस. चौधरी और न्यायाधीश आर.सी. गांधी की खण्डपीठ ने राजस्थान पुलिस को जेडीए की ओर से किए गए आवंटन को विधि विरुद्ध मानते हुए आवंटन को निरस्त कर दिया था।