जयपुर। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम गत वित्त वर्ष में भारी लाभ में रहा है। निगम के निदेशक मंडल की 279वीं बैठक के दौरान निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2017-18 की अवधि के लिए कंपनी के वार्षिक लेखा परीक्षा रहित वित्तीय परिणामों का अनुमोदन किया। वित्त वर्ष के वार्षिक वित्तीय परिणाम के दौरान निगम ने वित्तीय वर्ष 2016-17 की अवधि में 284 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ के मुकाबले 505 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया है।
ऊर्जा राज्यमंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकता राविउनि पूरा कर रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान निगम को 2637 करोड़ रुपए की वित्तीय हानि हुई थी।
इसके बाद आॅपरेशन एवं मेंटिनेंस के गुणवत्तापूर्ण कार्य कर्मचारियों के प्रयासों से परिचालन लागत में सुधार एवं बेहतर प्रबंधकीय नियंत्रण से वित्त वर्ष 2016-17 में उत्पादन निगम ने 284 करोड़ का शुद्ध लाभ प्राप्त किया। इसी क्रम में वित्त वर्ष 2017-18 की अवधि के दौरान उत्पादन निगम ने कुल 922 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया था, जिसमें से गिरल विद्युत गृह के लिए 417 करोड़ रुपए का प्रावधान रखने के बाद 505 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है। वर्ष 2017-18 के दौरान राविउनि द्वारा 27008 मिलियन यूनिट (12775 करोड़ रुपए) का उत्पादन किया गया। लाभ हासिल करने के लिए विद्युत गृहों में आॅक्जीलरी पावर कन्जम्पशन, स्टेशन हीट रेट तथा स्पेसिफिक आॅयल कन्जम्पशन कम किया गया।
इस छमाही अवधि में उत्पादन निगम द्वारा 2647 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय निर्माणाधीन सूरतगढ़ एवं छबड़ा विद्युत गृह की सुपर क्रिटिकल इकाइयों पर किया गया है। वर्तमान में सूरतगढ़ में 660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल इकाइयां जिनकी क्षमता 1320 मेगावाट एवं छबड़ा में 660 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल इकाइयां जिनकी क्षमता 1320 मेगावाट है, निर्माणाधीन हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में इन सभी सुपर क्रिटिकल निर्माणाधीन इकाइयों से नियमित वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ किया जाएगा, जिससे राविउनि की कुल उत्पादन क्षमता में 2640 मेगावाट की वृद्धि होगी।