Sachin Pilot
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मनरेगा योजना में राजस्थान देश में अव्वल: उप मुख्यमंत्री

जयपुर। उप मुख्यमंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री सचिन पायलट ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि मनरेगा योजना के सफल क्रियान्वयन में राजस्थान राज्य पूरे देश में अव्वल है।  पायलट प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होेंने कहा कि योजना के तहत पहले लक्ष्य 23 करोड़ था जिसे बढ़ाकर 30 करोड़ कर दिया गया और अब लक्ष्य 34 करोड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत पिछले कई महिनों से केन्द्र सरकार के समक्ष राज्य के मजूदरों के भुगतान सहित अन्य भुगतान अटके हुए है। उन्हाेंने सदन में प्रतिपक्ष के सदस्यों से आग्रह किया कि वे केन्द्र से अटके हुए भुगतान राशि को शीघ्र स्वीकृत करवाने में सहयोग करे।

इससे पहले विधायक श्री पानाचंद मेघवाल के मूल प्रश्न के जवाब में श्री पायलट ने कहा कि प्रदेश में ग्राम पंचायतों द्वारा महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत अनुमत कार्यो के जो प्रस्ताव सरकार को प्रेषित किये जाते है, उनकी स्वीकृति नियमानुसार समयबद्ध रूप से जारी की जा रही है। उन्हाेंने बताया कि कोटा सम्भाग की पंचायत समिति बारां की ग्राम पंचायत रटावद के केवल एक ग्राम शंकरपुरा में गत 3 वर्षों में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत कोई भी कार्य नहीं करवाया गया है।

श्री पायलट ने कहा कि योजना के तहत रोजगार की मांग प्राप्त होने पर कार्य स्वीकृत किये जाते है। उन्हाेंने कहा कि बारां जिले में महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत सिक्योर सोफ्ट (डीपीसी आई-डी) पर 26 कार्यों की स्वीकृतियाँ लम्बित है, जिनकी स्वीकृति प्रक्रियाधीन है। उन्हाेंने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत कुल व्यय राशि की कम से कम 60 प्रतिशत राशि कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों पर व्यय किया जाना अनिवार्य है। इसके तहत पात्र कृषकों की कृषि भूमि के विकास, मेड़बन्दी, पौधारोपण एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने आदि कार्य अनुमत है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत व्यक्तिगत लाभ के कार्य ‘अपना खेत अपना काम’ के तहत महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम की अनुसूची-1 के पैरा 5 पर उल्लेखित पात्र किसानों के लिए पशु आश्रय / बकरी आश्रय / सूकर आश्रय / मुर्गीपालन आश्रय का निर्माण कराने का प्रावधान है। उन्हाेंने बताया कि कोटा संभाग में विगत 3 वर्षो में पशुपालकों के लिए 17 हजार 186 पशु आश्रय निर्मित करवाये गये है, उन्होंने जिलेवार विवरण सदन के पटल पर रखा।

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