नयी दिल्ली, कांग्रेस ने राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को पटकनी देने का दावा करते हुए कहा है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में स्थानीय नेतृत्व के सुझाव पर प्रचार करेंगे तथा उनके आने वाले 100 दिनों के कार्यक्रम को ‘फाइनल’ कर लिया गया है। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं। प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावना पूछे जाने पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईआईसी) में प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय ने ‘भाषा’ से कहा कि राजस्थान में कांग्रेस की प्रबल संभावनाएं हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य के लोगों ने अपना मानस बना लिया है कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए। इस बार उपचुनाव में संकेत दे दिया है कि वे कांग्रेस में विश्वास करते हैं और पार्टी की सरकार लाना चाहते हैं। इस माह के शुरू में घोषित परिणामों में कांग्रेस ने राजस्थान की अलवर एवं अजमेर लोकसभा सीटों और माण्डलगढ़ विधानसभा सीट पर जीत कर सत्तारूढ़ भाजपा को एक बड़ा झटका दिया था।

पांडेय ने कहा कि आज राजस्थान की जनता अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पूर्व कांग्रेस सरकार और वसुंधरा राजे की अनुवाई वाली वर्तमान भाजपा सरकार के काम के बीच तुलना कर रही है। लोग जनकल्याण योजनाओं, किसानों से जुड़े मुद्दों के समाधान, सूखा, गोशालाओं से जुड़ी समस्याओं, चंबल नदी से पानी लाने, तेलशोधक कारखाने, मेट्रो निर्माण आदि मुद्दों पर आपस में तुलना कर रहे हैं। किसान, छोटे व्यापारी सहित राजस्थान समाज का हर वर्ग वसु्ंधरा राजे सरकार से परेशान आ चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘वसुंधराजी ने चुनाव के समय घूम-घूमकर जो वादे किये थे और जिनका उल्लेख पार्टी घोषणापत्र में किया गया था, उनकी सरकार उन्हें पूरा नहीं कर पायी। दुर्भाग्य की बात है कि इतना भारी बहुमत मिलने के बावजूद वसुंधराजी और उनकी सरकार ने कई विषयों पर तो पहल ही नहीं की।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि राजस्थान के लोग अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2018 में कांग्रेस वहां पूरे बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जा रही है। यह पूछे जाने पर कि जब राजस्थान में कांग्रेस के पास एक ऐसा चेहरा है जो कई बार पार्टी की सरकार को सफलतापूर्वक चला चुका है, तो पार्टी वहां ‘‘सामूहिक नेतृत्व’’ के साथ चुनाव में उतरने की बात क्यों कर रही है, पांडेय ने कहा, ‘‘इस सवाल का उत्तर देना अभी जल्दबाजी होगा। कुछ अपवाद छोड़ दें तो कांग्रेस कभी पूर्व निर्धारित चेहरे की घोषणा नहीं करती है।’’ उन्होंने कहा कि आपने पिछले 70 वर्ष में देखा कि कांग्रेस ने लोकतांत्रिक रूप से काम किया। चुने हुए प्रतिनिधियों से बातचीत की जाती है और फिर केन्द्रीय नेतृत्व निर्णय लेता है। इसी परम्परा का राजस्थान में पालन किया जाएगा।

राजस्थान चुनाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के प्रचार दौरों का कार्यक्रम पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी तो कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों के चुनावों को ध्यान में रखते हुए उनके दौरे चल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैसे राहुलजी ने यह बात भी कही है कि जहां भी सामूहिक नेतृत्व महसूस करता है, वह वहां अवश्य जायेंगे और इसमें उन्हें बहुत खुशी होगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी की राजस्थान चुनाव में वही शैली रहेगी, जो उन्होंने गुजरात में अपनायी थी और जिसमें सार्वजनिक सभाओं के साथ-साथ मंदिरों के दर्शन भी थे, पांडेय ने कहा, ‘‘हर राज्य के लिए अलग अलग रणनीति होती है क्योंकि हर राज्य की संस्कृति अलग होती है। वह जब राजस्थान आयेंगे तो स्थानीय नेतृत्व की सलाह और जनभावनाओं को ध्यान में रखकर कार्यक्रम तय होंगे। ऐसा नहीं होता कि यह सब पहले से निर्धारित हो।’’ उन्होंने कहा कि यह एक गलत धारणा है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम यहां (पार्टी मुख्यालय) में बनते हैं और उन्हें अमल वहां किया जाता है। ‘‘मैं स्वयं वहां उपलब्ध हूं। मैं वहां लोगों से बात कर रहा हूं। आने वाले 100 दिनों के कार्यक्रमों को हमने फाइनल किया है। कल उनकी (राहुल की) स्वीकृति ली है।’’ कांग्रेस नेता ने दावा कि आज के समय चुनाव की रूपरेखा और उसकी समक्ष को ही एकतरह से बदल दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी और राजस्थान में उसकी सरकार ने जिस तरह से वहां सरकारी मशीनरी का चुनाव में दुरूपयोग किया, वह लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली के लिए चिंता का एक बहुत बड़ा विषय है। इस चुनौती का मुकाबला कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह और नेताओं की एकजुटता से ही कर पायेगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार ने हाल में बयान दिया है कि राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस बदल रही है और यही लक्षण रहे तो कांग्रेस के अच्छे दिन जल्दी ही लौटने वाले हैं।

पवार के इस बयान पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर पांडेय ने कहा कि निश्चित ही उनकी बात सही है। कांग्रेस कोई एक संगठन नहीं बल्कि एक विचारधारा है जो विभिन्न कौमों को साथ लेकर चलती है। यह विचाराधारा हमेशा से मजबूत रही है। बीच बीच में कुछ अपवाद हुए हैं जिनसे कांग्रेस सबक लेती रही है। फिर तैयार होकर आगे के लिए बढ़ती है। उन्होंने कहा, ‘‘पवारजी ने जो कहा, वह बिल्कुल सच है। कांग्रेस जब भी हारी है तो वह डबल पावर के साथ सत्ता में दोबारा लौटी है। राहुलजी के नेतृत्व में हम हिन्दुस्तान के इतिहास में इसे फिर दोहरायेंगे।’’ आगामी लोकसभा चुनाव में राकांपा से कांग्रेस के गठबंधन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं कि राकांपा समान विचारों वाली पार्टी है। पूर्व में हमारा उसके साथ गठबंधन था और हमने साझा सरकार भी चलायी थी। गठबंधन के बारे में उन्होंने कहा कि यदि स्थानीय नेतृत्व से चर्चा कर कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व कोई निर्णय करता है तो वह उस बारे में वह कुछ नहीं बोल सकते, क्योंकि वह उस प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कह कि ‘‘इस बारे में सकारात्मक विचार किया जा सकता है।’’

LEAVE A REPLY