नयी दिल्ली : राजस्थान सरकार पुराने और नाजुक हालत में पहुंच चुके दस्तावेजों के संरक्षण के लिये 10,000 पन्नों का रोजाना डिजिटलीकरण कर रही है। इस पहल का मकसद राजस्थान के राजवाड़ों से जुड़े प्रशासनिक और ऐतिहासिक रिकार्ड का संरक्षण करना है। रिकार्ड के आनालाइन होने से शोधकर्ताओं, प्रशासनिक विभागों, न्यायपालिका तथा आम लोगों को दस्तावेज तक पहुंच में मदद मिलेगी। राजस्थान स्टेट आर्काइव्स, बीकानेर के निदेशक महेन्द्र खदगावत ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ऐतिहासिक रिकार्ड के लगातार मानवीय स्पर्श से वे नाजुक स्थिति में पहुंच जाते हैं। इन रिकार्ड को अगली पीढ़ी के लिये संरक्षित रखने के लिये हमारा मानना है कि इसके डिजिटलीकरण और माइक्रोफिल्मिंग की जरूरत है….।’’’ फिलहाल राजस्थान के अभलेखागार में 22 राजवाड़ों के 30 से 40 करोड़ प्रशासनिक और ऐतिहासिक रिकार्ड हैं। हालांकि संस्थान ने डिजिटलीकरण के लिये 3-4 करोड़ दस्तावेज को चुना है जो शोधकर्ताओं, सरकार, न्यायपालिका तथा आम लोगों के लिये महत्वपूर्ण हैं।
पिछले कुछ साल में इनमें से एक करोड़ से अधिक दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। खदगावत ने कहा, ‘‘डिजिटलीकरण की प्रक्रिया जारी है और रोजाना 10,000 पृष्ठों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण का काम सबसे पहले 2005-06 में शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि इसके अलावा निकट भविष्य में दस्तावेज संग्राहलय बनाया जाएगा। इसमें दस्तावेज प्रदर्शित किये जाएंगे।