जयपुर। 24 जून 2017 को आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद उसकी सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर राजपूत समाज ने 22 दिनों तक आन्दोलन किया था जिसके चलते 12 जुलाई को सांवराद में उपद्रव भी हुआ था। जिसके कारण राज्य सरकार पशोपेश में फंस गई थी। क्या करे? क्या न करें? वहीं आन्दोलन के लंबा खिंचने से राजपूत समाज में रोष बढऩे लगा था। आखिरकार सरकार ने राजपूत समाज की मांग मान ली और आनंदपाल एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपने को राजी हो गई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब प्रदेश कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाने की फिराक में है। कांग्रेस जानती है कि राजपूत वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी का परम्परागत वोट बैंक है और इस समय व भाजपा से नाराज भी है अगर इसमें सेंध लग जाती है तो आगामी चुनाव में कांग्रेस को बहुत फायदा होगा। साथ ही कांग्रेस पार्टी के नेता प्रतापसिंह खाचरियावास आनंदपाल एनकाउंटर मामले में शुरु से ही सरकार को आड़े हाथों ले रहे थे तथा आनंदपाल सिंह के गांव भी जाकर आए थे। वो भी अपने समाज के लोगों को साधने में लगे हैं जिससे की कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिल सके। वहीं भाजपा भी कोशिश में लगी है कि भाजपा का परंपरागत वोट बैंक राजपूत समाज किसी न किसी तरह से भाजपा के पास ही रहे जिससे कि पार्टी को बल मिल सके। इसी के तहत उन्होंने राजपूत समाज को साधने के लिए अजित सिंह को राजस्थान का डीजीपी भी बनाया। लेकिन इन सब के उलट राजपूत समाज और उनके नेता भी वेट एण्ड वॉच की स्थिति में है और अपने वोट बैंक की अहमियत को समझते हुए हालातों पर नजर रखे हुए है। आगामी विधानसभा चुनावों में अभी समय है लेकिन देखना है कि पलड़ा किसकी तरफ झुता है। यह भविष्य के गर्भ में है। राजनीति में कब, क्या हो? पहले से नहीं कहा जा सकता है।
क्यों नाराज हैं राजपूतसमाज:
आनंदपाल एनकाउंटर के दौरान राजपूत समाज ने इस एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की थी, तथा इसके अलावा और भी कई मांगे थी जो सरकार ने काफी दिनों तक नहीं मानी थी जिससे राजपूत समाज में नाराजगी व्याप्त हो गई और उन्होंने इस नाराजगी के चलते यहां तक कह दिया था कि वे आगामी चुनावों में भाजपा का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि अभी भाजपा में जितने भी राजपूत समाज के मंत्री और विधायक है उनका भी बहिष्कार किया जाएगा। क्योंकि उन्होंने जरुरत के वक्त समाज से ज्यादा अपनी राजनीतिक पार्टी को तवज्जो दी।
क्या चाहती है कांग्रेस?
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस चाहती है कि राजपूत समाज की भाजपा से नाराजगी आगामी विधानसभा तक जारी रहे जिससे उन्हेंं चुनाव में इसका फायदा मिल सके। इसके लिए उन्होंने अंदरखाने में तैयारियां भी शुरु कर दी है। और इस काम में कांग्रेस के पास राजपूत समाज के ही प्रताप सिंह खाचरियावास है जो कांग्रेस के लिए सारा सैटअप तैयार कर सकते हैं।
भाजपा की मुश्किल?
भाजपा की मुश्किल यह है कि उन्होंने आनंदपाल एनकाउंटर मामले में राजपूत समाज द्वारा जो मांग की गई थी वह उन्होंने मानने में काफी देर लगा दी। जिससे राजपूत समाज का धैर्य जवाब दे गया। साथ ही काफी दिनों तक सरकार की तरफ से किसी को अधिकृत भी नहीं किया गया था जो राजपूत समाज और सरकार के बीच सेतू का कार्य कर सके। 12 जुलाई को जब सांवराद में उपद्रव हुआ तो सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सरकार की मुश्किल यह है कि पार्टी में जो राजपूत नेता हैं उनकी भी हिम्मत नहीं पा रही है कि वे समाज के लोगों से मिलकर वापस उन्हें मनाने का प्रयास कर सके।