जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित राजेन्द्र मिर्धा अपहरण काण्ड की कोर्ट में चल रही ट्रायल के दौरान पुलिस अनुसंधान पर सवालिया निशान लगाने वाले इस मामले के गवाह आईएएस हनुमंत सिंह भाटी के उस प्रार्थना-पत्र को कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें भाटी ने बताया था कि इस मामले में उनके द्वारा किए गए अनुसंधान और नतीजा रिपोर्ट को पुलिस ने शामिल नहीं किया है और तब बरामद घातक विस्फोटक सामग्री को गायब कर दिया। पहले इस बारे में पुलिस से स्पष्टीकरण मांगने पर ही गवाही देने की बात कही थी। एडीजे कोर्ट क्रम तीन जयपुर महानगर ने भाटी के इस प्रार्थना-पत्र को खारिज कर दिया, साथ ही करीब पांच साल से इस मामले में गवाही देने नहीं आ रहे भाटी को जमानती वारंट से तलब किया है। कोर्ट ने पांच हजार के जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें आठ अगस्त को पेश होने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने भाटी के जमानती वारंट तामील करवाने की जिम्मेदारी मुख्य सचिव राजस्थान को दी है। इस संबंध में डीओ लेटर भी जारी करने के आदेश दिए हैं। इसमें कोर्ट ने कहा है कि राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड में हनुमन सिंह भाटी की गवाही होना शेष है। सभी की गवाही हो चुकी है। वे पांच साल से गवाही देने नहीं आ रहे हैं। इसलिए भाटी की पेशी सुनिश्चित करवाई जाए। गौरतलब है कि 17 फरवरी, 1995 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा को जयपुर में अपहरण कर लिया था। यह अपहरण पंजाब में सक्रिय आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के दयासिंह लाहौरिया, हरनेक सिंह व अन्य ने किया था। कई दिनों तक उन्होंने राजेन्द्र मिर्धा को छुपाकर रखा और जेल में बंद साथियों को छुड़ाने की मांग रखी। सर्च ऑपरेशन के दौरान जगतपुरा में एक दूध व्यवसायी के कहने पर मालवीय नगर में एक घर में पुलिस टीम ने दबिश दी तो आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी। फायरिंग में पुलिस की गोली से नवनीत सिंह कांदियां मारा गया, जबकि हरनेक सिंह, दयासिंह लाहौरिया व सुमन सूद फरार हो गई। बाद में लाहौरिया व सुमन सूद की गिरफ्तारी हुई और कोर्ट ने उन्हें सजा भी सुनाई। हरनेक सिंह कोर्ट आदेश के बाद में अरेस्ट हुआ। उस पर ट्रायल चल रही है।