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चेन्नई। राजनीति में प्रवेश करने को लेकर लग रही अटकलों के बीच तमिल अभिनेता रजनीकांत ने आज कहा कि इस बारे में वह अपने रुख की घोषणा 31 दिसंबर को करेंगे। यह पहली बार है जब तमिल फिल्म उद्योग के इतिहास पुरूष कहे जाने वाले 67 वर्षीय इस करिश्माई अभिनेता ने राजनीति में पदार्पण को लेकर अपनी योजनाएं बताने के लिए कोई तारीख तय की है।रजनीकांत ने कहा, ‘‘ मैं यह नहीं कह रहा कि मैं राजनीति में आऊंगा.. राजनीति में प्रवेश को लेकर अपने रुख की घोषणा मैं 31 दिसंबर को करूंगा। ’’ अपने प्रशंसकों के साथ छह दिन तक चलने वाले फोटो सेशन कार्यक्रम के पहले दिन उन्होंने कहा कि वह राजनीति में प्रवेश को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि वह इसके नियम कायदे जानते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘ अगर मुझे इसके नियम-कायदे पता नहीं होते तो मैंने सहमति दे दी होती’’ और राजनीति में आ चुका होता। कबाली के अभिनेता ने कहा, ‘‘ मैं राजनीति में नया नहीं हूं। ’’ रजनी ने वर्ष 1996 का जिक्र किया जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता का विरोध किया था। तमिल फिल्म उद्योग पर चार दशक से राज कर रहे रजनी ने धाराप्रवाह तमिल में अपने प्रशंसकों को संबोधित किया।

राजनीति में प्रवेश को लेकर फैसला नहीं करने के लिए रजनीकांत की आलोचना होती रही है। लेकिन अभिनेता ने जोर देकर कहा कि कई महीनों पहले उन्होंने यह साफ कर दिया था वह अपने फैसले के बारे में ‘युद्ध’ के दौरान ही बताएंगे।दाढ़ी में चमकती सफेदी, आंखों पर चश्मा और सफेद कुर्ता पहने रजनी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘ युद्ध का मतलब केवल चुनाव है, क्या यह आ गए हैं?’’ रजनीकांत ने कहा, ‘‘ मैं यह नहीं कह रहा कि मैं राजनीति में आऊंगा.. राजनीति में प्रवेश को लेकर अपने रुख की घोषणा में 31 दिसंबर को करूंगा। ’’ मई में इसी तरह के आयोजन में अपने प्रशंसकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘‘ जब युद्ध होगा तब हम लड़ेंगे।’’ तब उनके इस बयान को राजनीति में उनके प्रवेश करने की संभावना के संकेत के तौर पर देखा गया था। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘ हम युद्ध में जाते हैं तो हमें जीतना चाहिए, बहादुरी दिखा देना काफी नहीं होता, रणनीति… (आवश्यक है)। ’’ अभिनेता की टिप्पणी को संकेत माना गया कि वह राजनीति में प्रवेश की रणनीति बना रहे हैं। इसलिए उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीति में प्रवेश को लेकर अपने रुख के बारे में मैं 31 दिसंबर को बताऊंगा। ’’ वर्ष 1996 में रजनीकांत ने जयललिता के खिलाफ रुख अपनाया था जिसके बाद से ही राजनीति में उनके प्रवेश की चर्चाएं चलनी शुरू हो गई थी। तमिलनाडु में जयललिता के निधन के कारण पैदा हुए राजनीतिक शून्य और द्रमुक अध्यक्ष एम करूणानिधि की गिरती सेहत के कारण कम हुई उनकी सक्रियता को देखते हुए रजनी के राजनीति में प्रवेश का मुद्दा फिर उठने लगा है।

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