– जनप्रहरी एक्सप्रेस
जयपुर। शुक्रवार को एक दिवसीय ‘सखी सम्मेलन’ का आयोजन सीतापुरा जयपुर स्थित जेईसीसी सभागार में किया गया। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों से राजीविका स्वयं सहायता समूहों की करीब 20 हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री गहलोत, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणाऔर सखी सम्मेलन में मौजूद एवं वीसी के माध्यम से जुड़ी हुई सखियां, जो कि महिला उत्थान एवं आजीविका संवर्धन की प्रेरणा स्त्रोत हैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूं।
उन्हाेंने कहा कि मेरा यह सौभाग्य रहा है कि मुझे ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज एवं SHGs के साथ बार बार कार्य करने का मौका मिला है। वर्ष 2005 में DPIP के रूप में केवल 7 जिलों के सीमित क्षेत्र में SHGs का कार्य प्रारम्भ किया गया था। उस वक्त कार्य करने मे अनेक चुनौतियां थी। इसके बावजूद आप महिला सखियों ने दूनी में डेयरी हेतु सफल मैत्री संगठन खड़ा किया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2011 में इस क्षेत्र में पुनः कार्य करने का मौका दिया। DPIP के दौरान आपने जो SHG बनाई थी उन महिलाओं ने CRP के रूप में कार्य करते हुए 19 जिलों में RRLP के तहत SHG गठन का कार्य किया। आप महिलाओं के छोटे – छोटे कदम, प्रयास, विश्वास एवं हौसलों की वजह से राजीविका की स्थापना हुई।
जब मैं सहकारिता सचिव था तब आप द्वारा CLF के रूप में संर्वागीण महिला विकास सहकारी समिति के रूप में गठन किया गया। आपको गर्व होना चाहिए कि राजस्थान प्रदेश में लगभग 44 लाख सखियां सहकारिता आन्दोलन की सक्रिय सदस्य हैं तथा वे सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
उन्होंने कहा यहां बैठी हुई सखियां साधुवाद की पात्र है, ये अपनी एवं अपने परिवार की उन्नति के लिए, बचत के लिए, आर्थिक प्रगति के लिए अनुशासन के साथ प्रति सप्ताह नियमित बैठक करती हैं। इस प्रकार हम देखें तो प्रति सप्ताह लगभग 44 लाख माहिलायें आपस में विकास हेतु संवाद करती है। उपस्थित सखियों से कहना चाहूंगा कि आपकी शक्ति यह है कि आपको दिये गये ऋण की रिकवरी 99 प्रतिशत है। वित्तीय संस्थान आपको विभिन्न कार्यों के लिए without collateral ऋण देने हेतु तत्पर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि आपको दिया गया ऋण सुरक्षित है। यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक सखी दूसरी सखी की रिकवरी हेतु ही collateral है।
एसीएस ने कहा प्रथम स्तर पर संगठन निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। राजीविका ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के मजबूत स्तंभ के रूप में उभर कर सामने आया है।
राजीविका की सखी एक विश्वास है, राज्य की शक्ति है और उन्नति का प्रतीक है। नियमित बैठक के रूप में, बचत के रूप में, ऋण के रूप में और आजीविका के रूप में सखी परिवार का आर्थिक सशक्तिकरण करती है।
यह विश्वास अब इस रूप में भी प्रकट हो रहा है कि राजीविका अन्य विभागों की योजनाओं को लागू करने के लिए सक्षम बन गई है चाहे वाटरशेड की योजना को लागू करने की बात हो, गरीबी का सर्वे हो या मनरेगा के तहत उन्नति योजना से जुड़ने की बात हो। आज हर जगह आपकी और राजीविका की चर्चा है। SHG की सखी convergence का केन्द्र बिन्दु है। अब सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार्य यह है कि हमारी समूहों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ना है और उनका आर्थिक सशक्तीकरण करना है, इसके लिए हमें अब नए प्रयोग एवं नवाचार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इसी दिशा में हमें अब convergence का लाभ लेते हुए Private Public community partnership का प्रयोग करना होगा।
उदाहरण स्वरूप – आपने देखा देवीलाल PEDO संस्था जो कि डेयरी, बकरी पालन, प्राकृतिक खेती-बाड़ी, बायो गैस प्लांट और हल्दी के किसानों को मार्केट से जोड़ने का कार्य कर रहे है, के अनुभव का लाभ लेना चाहिए। यतेश यादव जो कि इब्तदा संस्था से जुडे़ हुए है ने पशु सखी, कृषि सखी के संबंध में अनेक नवाचार किये हैं।
जोधपुर की रणबंका बालाजी ट्रस्ट की ट्रस्टी श्वेता, द्वारा दूर-दराज के ग्रामीण आदिवासी एवं अन्य marginalized महिलाओं और उनके परिवारों के समूह में जोड़ने हेतु प्रेरित किया तथा इन्हें livelihood से जोडने हेतु सजृन संस्था के Buddha fellows एवं इसी प्रकार संजय के मंजरी फाउंडेशन ने कटोरी ब्रांड के माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर प्लेटफॅार्म उपलब्ध कराया।
अब हमने और आपने साथ साथ कार्य करना प्रारम्भ कर दिया हैं जिसका लघु स्वरूप हमने ‘शाबास सखी‘ की प्रदर्शनी के रूप में देखा है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार राजीविका महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक ऐसा लोकतंत्र है, जो महिला का, महिला के लिए और महिला द्वारा संचालित है और महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज को साकार करने हेतु तेजी से आगे बढ रहा है।

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