संगरूर। राम-रहीम को कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद समर्थकों की हिंसा तो अब खत्म हो गई मगर अब बाबा राम-रहीम को लेकर तरह-तरह के खुलासे हो रहे हैं जो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहे हैं। आज की तारीख में सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला शख्स राम रहीम ही है। जिसके नए-नए खुलासों को जानने के लिए लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय है। और खास बात यह है कि राम-रहीम की गिरफ्तारी के बाद उसके डेरे के ही कुछ लोग डेरे में होने वाली बातों का खुलासा कर रहे हैं जिससे आम आदमी अब तक अंजान था। कुछ बातें ऐसी है जो शायद सूनकर हैरानी भी हो। तो अब हम अब आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही बाते। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपने अनुयायियों को अंधभक्ति के जाल में फंसा रखा था। इस कारण उसके अनुयायी व समर्थक अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहते थे। राम रहीम के परमार्थ के नाम पर वे डेरा सच्चा सौदा पर के प्रति तन-मन-धन से समर्पित थे । डेरा प्रेमी बताते हैं कि डेरों में गुरमीत राम रहीम के हाथ से बना गुड़ का 100 ग्राम का टुकड़ा सवा लाख में बिक चुका है। गुरमीत राम रहीम किसी कार्यक्रम या समागम में जिस कुर्सी पर बैठता था, वह 80 हजार से दो लाख रुपये तक में बिक चुकी है। अगर सिर्फ संगरूर की ही बात करें तो करीब 10 से 15 कुर्सियां इसी तरह परमार्थ के नाम पर डेरा अनुयायी लाखों रुपये में खरीद चुके थे। डेरे की सब्जियां बाजार से सौ गुना महंगी बिकती थीं।

जिस कुर्सी पर डेरा प्रमुख बैठता वह 80 हजार से दो लाख रुपये तक में बिकती थीडेरे में उगी सब्जियों से लेकर गुरमीत राम रहीम के चलाए दोपहिया व चौपहिया वाहन मार्केट मूल्य से कई गुना महंगे दाम पर डेरा प्रेमी खरीदते रहे हैं। ऐसा नहीं कि यह सामान डेरा प्रेमियों पर थोपा जाता था, बल्कि वे खुद आगे आकर इसे खरीदते थे। एक डेरा प्रेमी ने बताया कि इससे प्राप्त धन को परमार्थ पर खर्च का नाम दिया गया था। परमार्थ का मतलब जरूरतमंदों की सेवा में धन को लगाना था। जो लोग इलाज के लिए पैसे नहीं दे सकते थे, उनका डेरे में बने अस्पताल में इलाज करवाया जाता था और इलाज पर आए खर्च को परमार्थ के नमा पर एकत्र कर दिया जाता था।

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