जयपुर। राजस्थान में जयपुर जिले के बस्सी उपखण्ड स्थित ग्राम पंचायत पड़ासौली में राशन घोटाले की परतें खुलने लगी है। बीपीएल, अंत्योदय व खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आवंटित राशन सामग्री जरुरतमंदों तक पहुंची ही नहीं। सूचना के अधिकार से हुए खुलासे के बाद मामला विधानसभा में गूंजा तो सरकार ने आनन-फानन में मामले की जांच बैठा दी। जांच में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा सामने आया।
पड़ासौली में राशन डीलर राधेश्याम पुत्र जौहरी लाल शर्मा की मौत के सालभर बाद तक उसी दुकान से राशन सामग्री मानमाने तरीके से चहेतों को बांटी जाती रही। बता दें बस्सी उपखंड के पड़ासौली पंचायत में राशन घोटाला सामने आया था। जहां राशन डीलर की मौत के बाद घोटाले को अंजाम दिया जाने लगा।
-गेंहू दिया 25 किग्रा, दर्शाया 160 किग्रा, एंट्री भी नहीं की
ग्राम पंचायत पड़ासौली में राशन की दुकान से हुए घोटाले पर नजर डाले तो यहां डीलर का कामकाज देख रहे सुशील कुमार मीणा पुत्र रामनारायण मीणा ने 90 फीसद उपभोक्ताओं को तय सीमा से कम का राशन दिया गया। किसी उपभोक्ता को 20 किलो तो किसी को 25 किलोग्राम गेेंहू दिया। जबकि उसके बिल में यह मात्रा अधिक दर्शाई गई। जांच करने गई टीम को इस दुकान पर सुशील कुमार मीणा उपभोक्ताओं को राशन सामग्री देते हुए मिला। मसलन पड़ासौली निवासी राजूराम को मार्च 2017 में 25 किलोग्राम गेंहू दिया गया। जबकि बिल में उसे 100 किलोग्राम गेंहू देना दिखाया गया। इसी तरह सिंतबर 2016 के बिल में 50 किलो गेंहू देना दर्शाया गया। विश्राम गुर्जर के फरवरी व मई 2017 के बिल में क्रमश: 100 किलो व 50 किलो गेंहू का आवंटन दिखाया गया। रणजीत गुर्जर के मई 2015 बिल में 160 किलोग्राम गेंहू को दिया जाना बताया गया। रामेश्वर मीणा के अक्टूबर 2016 व मार्च 2017 के बिल में क्रमश: 60 और 120 किलोग्राम गेेंहू को देना दर्शाया। पड़ासौली निवासी घासीलाल ने कभी राशन डीलर के यहां से गेंहू, केरोसीन या चीनी के तौर पर राशन सामग्री नहीं ली। इसके उपरांत भी पोज मशीन से जारी किए गए बिल में उसे 80 किलो गेंहू व 4 लीटर केरोसीन देने की स्थिति दर्शाई गई। मजेदार बात तो यह रही कि इनमें एक भी उपभोक्ता के राशन में दी गई सामग्री की मात्रा दर्शाई ही नहीं। यह तो एक बानगी है।
-गुम होना बताया दस्तावेज
इधर मूल अनुज्ञापत्र धारी राधेश्याम शर्मा की मौत के बाद गबन का खेल 5 तक जारी रहा तो कुछ लोगों ने तत्कालिन प्रवत्र्तन निरीक्षक व राशन वितरण में लगे दबंग की शिकायत जिला रसद अधिकारी से की। इस पर डीएसओ जयपुर द्वितीय देवेन्द्र कुमार जैन ने जांच कराकर राशन डीलर रामप्यारी देवी से अप्रेल 2015 से फरवरी 2016 तक का वितरण रजिस्टर मांग लिया। जिसे रामप्यारी देवी उपलब्ध नहीं करा सकी। इस पर डीएसओ ने 30 मार्च 2016 को लाइसेंस निलंबित कर दिया। वहीं वितरण रजिस्टर के संबंध में कहा गया कि वे कहीं गुम हो गए। इस संबंध में रामप्यारी देवी ने बस्सी थाने में शपथ पत्र पेश कर प्राथमिकी भी दर्ज कराई।
-सरपंच और डीएसओ ने किया पद का दुरुपयोग
इधर लाइसेंस के निलंबित होने के साथ ही सरपंच रेखा मीणा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने जेठ व वास्तविक रुप से राशन वितरण में लगे सुशील कुमार मीणा के प्रति सहानुभूति दिखाई। सरपंच ने लाइसेंस के पुन: बहाली को लेकर डीएसओ को लिखा। जहां एक माह बाद ही डीएसओ देवेन्द्र जैन ने रामप्यारी देवी की वृद्धावस्था होने के उपरांत भी उसके अनुज्ञापत्र को पुन: बहाल कर दिया। जिससे इस घोटाले को बल मिला। जबकि डीएसओ के द्वारा अनुज्ञापत्र को पुन: बहाल करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला कृत्य ही उभरकर सामने आया। जिस पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
-वास्तविक आयु में भी घपला
एक ओर जहां रामप्यारी देवी की वास्तविक 90 वर्ष के करीब है। वहीं मतदाता पहचान पत्र में उसका जन्म 1944 का होना दर्शा रखा है। इसी तरह राशन वितरण सहित अन्य गुम हुए दस्तावेजों के मामले में बस्सी थाने में जो शपथ पत्र दिया। उसमें रामप्यारी की आयु महज 44 साल होना बताया गया। जो सीधे-सीधे दस्तावेजों को छिपाने और घोटाले पर पर्दा डालने की ओर इशारा कर रही है। वहीं जानकारी में सामने आया कि रामप्यारी का पुत्र दौसा स्थित एक सरकारी महकमे में कर्मचारी है। इसके उपरांत भी उसे अनुज्ञापत्र जारी करना जांच का विषय ही है।
इस प्रकरण में रसद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सहित अन्य को लेकर खुलासे किए जाने हैं, ऐसे में खबरों के लिए जनप्रहरी एक्सप्रेस से जुड़े रहे।