-राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव नतीजे शुक्रवार को सामने आ जाएंगे। इन नतीजों पर पूरे देश की तो नजर है, साथ ही दुनिया के तमाम क्रिकेटर्स और क्रिकेट की समझ रखने वाले लोगों में भी खासी उत्सुकता है कि चुनाव नतीजे क्या रहेंगे। आरसीए चुनाव की यह रोचकता इसलिए है कि इस चुनाव में क्रिकेट को ट्वंटी-ट्वंटी के जरिये दुनिया में फेमस करने वाले और भारतीय क्रिकेट बोर्ड को कुबेरपति बनाने वाले के बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष (फिलहाल भारत के भगौड़े) ललित मोदी के बेटे रुचिर मोदी अध्यक्ष पद पर चुनावी मैदान में है। इन्हें चुनौती दे रहे हैं आरसीए के पूर्व अध्यक्ष और राजस्थान की कांग्रेस राजनीति के धुरंधर पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.सी.पी.जोशी। क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि जोशी व मोदी के बीच सीधी टक्कर है। इस सीधी टक्कर में पलड़ा किसका भारी है, यह तो शुक्रवार को पता लग जाएगा, जब मतपेटियों से 33 जिलों के वोट सामने आएंगे। वैसे क्रिकेट पंडितों का दावा है कि भले ही जोशी व मोदी गुट अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हों, लेकिन पलड़ा सीपी जोशी की तरफ झुका हुआ है। यहां तक दावा किया जा रहा है कि जोशी ही आरसीए अध्यक्ष बनेंगे। इनके पीछे उनके अपने तर्क भी है, जो सही भी लगते हैं। बीसीसीआई ने ललित मोदी को बैन कर रखा है। इस वजह से गत तीन साल से राजस्थान को क्रिकेट मैचों से महरुम भी रहना पड़ा। यहां के क्रिकेटर्स और क्रिकेट को नुकसान हुआ सो अलग। यहीं नहीं बीसीसीआई के पदाधिकारी नहीं चाहते हैं कि ललित मोदी चुनाव जीते। ऐसी ही कुछ मंशा राजस्थान के क्रिकेटर्स-आरसीए वोटर्स की है। क्रिकेट की भलाई के लिए वे उस ललित मोदी को ना करने के मूड में है, जिसने राजस्थान के क्रिकेट को नई ऊंचाई दी, साथ ही इसे मजबूत आर्थिक स्थिति में भी पहुंचाया। आईपीएल मैचों में धांधली, सट्टेबाजी और ईडी की जांच में फंसे ललित मोदी से बीसीसीआई के एक प्रमुख पदाधिकारी और भाजपा के एक बड़े नेता भी खासे लड़ाई के मूड में है। वे भी नहीं चाहते हैं कि मोदी, उनके परिवार या समर्थक चुनाव में जीते। भारतीय क्रिकेट से ललित मोदी का नाम हटाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद ललित गेट काण्ड से मोदी सरकार को खासी किरकिरी हुई थी। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर देश के भगौड़े ललित मोदी को संरक्षण देने के आरोप लगे थे और मीडिया व संसदा में खासा बवाल मचा था। भाजपा नेतृत्व ने मामले में तल्खी दिखाई थी। वैसे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और ललित मोदी के रिश्ते जगजाहिर है। राजे के प्रथम कार्यकाल में मोदी आरसीए के चेयरमैन बने थे। लेकिन ललित गेट काण्ड में फंसने और ललित मोदी पर आपराधिक केस लगने के बाद नहीं लगता है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनकी सरकार ललित मोदी व आरसीए चुनाव में खड़े उनके बेटे रुचिर मोदी को कोई मदद दे पाएंगी। केन्द्र की राजनीति में अहमियत रखने वाले एक नेता की नाराजगी ललित मोदी से जगजाहिर है। ऐसे में कोई नहीं चाहेगा कि मोदी को समर्थन देकर केन्द्र के साथ क्रिकेट की राजनीति के मंझे खिलाड़ी से पंगा लिया जाए। ऐसे में क्रिकेट के जानकारों को लगता है कि जिस तरह पहले ललित मोदी को सरकार का समर्थन मिला था, वो अब उनके बेटे रुचिर मोदी शायद ही मिल पाएगा। वो दिख भी रहा है। आरसीएस चुनाव में भाजपा सांसद हर्षवर्धन सिंह ने भी अध्यक्ष पद का पर्चा भरा था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना पर्चा वापस ले लिया। कभी ललित मोदी के विश्वस्त रहे और राजस्थान सरकार में मंत्री अमीन पठान भी मोदी से खींचे-खींचे से चल रहे हैं। आरसीएस वोटर्स में पठान का अच्छा दबदबा है। वे भी चाहते हैं कि राजस्थान में फिर से क्रिकेट मैच शुरु हो। यह भी चर्चा है कि अगर रुचिर मोदी जीत भी गए तो क्या बीसीसीआई का समर्थन उन्हें मिल पाएगा। नागौर जिला क्रिकेट संघ से उनके पिता ललित मोदी अध्यक्ष है। जब तक उन्हें हटाया नही ंजाएगा, बीसीसीआई आरसीए को कुछ नहीं देगी और ना ही मैच की अनुमति। वैसे भी बीसीसीआई में मोदी विरोधी खेमा ज्यादा सक्रिय है। ऐसे में रुचिर मोदी की राहें आसान होगी, यह संभव नहीं है। ललित मोदी और रुचिर मोदी के इन विपरीत माहौल को देखते हुए हर कोई कयास लगा रहा है कि इन सबका फायदा सीपी जोशी को मिलेगा। सीपी जोशी भी वे खिलाड़ी हैं, जो बिना रणनीति के कहीं उतरने नहीं है। अपने पक्ष में गणित व समीकरण दिखने के बाद ही वे चुनाव मैदान में आए है। जिस दिन मतदान हुआ है, उस दिन साफ नजर भी आ गया कि सीपीजोशी का पलडा रुचिर मोदी से भारी रहा। जोशी गुट में सोलह वोटर्स वोट देकर गए तो मोदी गुट वाले 14 वोटर्स साथ ला पाए। तीन वोटर्स अमीन पठान, कांग्रेस नेता संयम लोढा व अजमेर के एक वोटर्स स्वतंत्र रुप से अलग-अलग आए और अपना वोट देकर चले गए। वे किसी भी गुट में नहीं दिखे। लेकिन चर्चा है कि इन तीन में से दो वोट भी सीपी जोशी को मिलना तय बताया जा रहा है। मोदी गुट के एक वोटर्स के तटस्थ रहने की संभावना जताई है। नाराजगी के चलते उनकी अध्यक्ष पद पर वोट नहीं डालने की चर्चा जोरों है। जोशी को 18 व मोदी को 15 वोट मिलने की कही जा रही है। कुल मिलाकर सरकार और सरकार के पुराने साथी वोटर्स का प्रत्यक्ष सहयोग नहीं मिलने के चलते इस बार ललित मोदी के बेटे रुचिर मोदी को चुनाव में खासी मुश्किलें झेलनी पड़ी है। इसमें बहुत हद तक ललित मोदी की अपरिपक्ता, अनर्गल बयान भी उनके लिए घातक साबित रहे हैं। खैर शुक्रवार को होने वाली मतगणना से साबित हो जाएगा आरसीए चुनाव में कौन जीतेगा और कौन हारेगा। किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा। वैसे यह तो तय है कि इस बार ललित मोदी को सरकार का साथ नहीं मिला। इस वजह से उनकी राहें भी आसान नहीं रही। खैर चुनाव परिणाम कुछ भी हो, लेकिन चुनाव से राजस्थान क्रिकेट और क्रिकेटर्स को फायदा मिले, यह सभी चाहते हैं।
Badhai ho Joshi sab