नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने चुनाव में नोटा को किसी निर्वाचन क्षेत्र में अधिकतम मत मिलने की स्थिति में वह चुनाव अमान्य करके फिर से चुनाव कराने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने हेतु दायर याचिका पर विचार से आज इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान कर दी। इस याचिका में निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि जिन उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के चुनाव अमान्य हुये हो, उन्हें नये चुनाव में हिस्सा लेने से रोका जाये।
शीर्ष अदालत ने इन सुझावों को ‘अव्यावहारिक’ करार देतु हुये कहा, ‘‘हम इस तरह से अपने लोकतंत्र को नष्ट नहीं कर सकते। हमारे देश में चुनाव कराना बेहद गंभीर और खर्चीला काम है। आज हम यह नहीं कह सकते कि जब तक एक प्रत्याशी को 51 फीसदी मत नहीं मिलेंगे उसे निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सकता।’’ पीठ का रूख भांपते हुये याचिकाकर्ता और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका वापस लेना ही बेहतर समझा।याचिका में यह भी कहा गया था कि प्रत्याशी को अस्वीकार करने और नया प्रत्याशी चुनने का अधिकार जनता को अपना असंतोष व्यक्त करने की ताकत प्रदान करेगा।