जयपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने गुरुवार को जयपुर में कुपोषण के विरुद्ध अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए ‘‘सोशल एण्ड बिहेवियर चेंज स्ट्रेटेजी’’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर भदेल ने कहा कि राजस्थान में कुपोषण से मुक्ति के लिए ‘‘सामाजिक एवं व्यवहार में बदलाव’’ की रणनीति लॉन्च की गई है। इसके माध्यम से लोगों में खासतौर पर माताओं और बच्चों की पोषण की आदतों में सुधार पर फोकस रहेगा। लोगों में व्यवहार में बदलाव से राजस्थान में कुपोषण से लड़ाई में मदद मिल सकती है। उन्होंने बताया कि कई विभागों को समन्वित करके कुपोषण से लड़ने के लिए रणनीति तैयार की गई है। सभी प्रमुख विभागों के कन्वर्जन से इस रणनीति को सफल बनाया जाएगा।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं में व्याप्त कुपोषण सभी राज्यों के लिए चिंता का विषय है। राजस्थान सरकार ने इसके निवारण के लिए अपनी कटिबद्धता को सुदृढ़ करते हुए समाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने घरेलू तथा सामाजिक स्तर पर व्याप्त कुप्रथाओं को दूर कर एक संवेदनशील परिवार और समाज को रणनीति का अभिन्न अंग बताया।

महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव रोली सिंह ने कहा कि लोगों के व्यवहार और सामाजिक मान्यताओं का अध्ययन करके एक खास रणनीति तैयार की गई है, ताकि कुपोषण से बेहतर तरीकों से लड़ा जा सके। इसके लिए स्वास्थ्य, आईसीडीएस, शिक्षा, पंचायतीराज जैसे विभागों के साथ मिलकर कुपोषण के कारणों पर मंथन किया गया है। प्रदेश में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। सिंह ने बताया कि रणनीति में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को केन्द्र मेंं रखकर क्रियान्वयन की प्रक्रियाओं पर बल दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस रणनीति में जीवन चक्र दृष्टिकोण को अपनाया गया है क्योंकि सुपोषित किशोरी एक सुपोषित माँ बनती है और स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। यह रणनीति पति और सास की मातृ एवं बाल पोषण को सृदृढ़ करने में अहम् भूमिका को रेखांकित करती है।

अतिरिक्त सचिव नीति आयोग यदुवेन्द्र माथुर ने राजस्थान की इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन राष्ट्रीय पोषण मिशन की प्राथमिकताओं में से एक है और राजस्थान इसके लिए व्यापक रणनीति बनाने वाला देश का शायद प्रथम राज्य है। शासन सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण नवीन जैन ने बताया कि आमतौर पर माता-पिता कुपोषण को गम्भीर समस्या नहीं मानते। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ माताओं को ही नहीं, बल्कि पिताओं को भी पोषण सुधार की प्रक्रिया से जोड़ना चाहिए। अपने विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम, पोषण प्रथम फेज का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पिताओं को जोड़ने से उन्हें उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

LEAVE A REPLY