जयपुर। प्रदेश के कार्मिक विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के क्रम में एक सर्कुलर जारी किया है। सकुर्लर में बताया गया है कि प्रदेश सेवाओं में किसी भी स्तर पर अगर एक बार भी आरक्षण का लाभ लेने के बाद एससी-एसटी और ओबीसी अभ्यर्थी सामान्य वर्ग की श्रेणी से बाहर हो जाएंगे। इसके बाद उन्हें सामान्य श्रेणी में कोई जगह नहीं दी जाएगी। वे अपनी ही श्रेणी की सीट पर नियुक्ति पाने के हकदार होंगे। चाहे उन्होंने परीक्षा में टॉप ही क्यों नहीं किया हो, उन्हें सामान्य श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। इस सर्कुलर की प्रति हाईकोर्ट, आरपीएससी, लोकायुक्त, रैट सहित अन्य विभागों को भेज दी गई है।
परीक्षाओं के लिए जमा कराए जाने वाले शुल्क को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इस सर्कुलर में यह भी व्यसव्था है कि अगर किसी अभ्यर्थी ने उपरोक्त तीनों का लाभ अपने शुरुआती दौर में नहीं लिया तो ऐसी स्थिति में उसे सामान्य श्रेणी में ही माना जाएगा। सचिव कार्मिक भास्कर ए सावंत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्रम में यह आदेश जारी किया गया है। इस आदेश को तुरन्त प्रभाव से लागू कर दिया गया है, जिससे राज्य में वर्तमान में चल रही परीक्षाओं की प्रक्रिया के बाद जारी होने वाले परिणाम इसी के आधार पर जारी किए जाए।
सामान्य तौर पर एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए पहले आयु में छूट ले लेते थे। फिर प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा में अधिक अंक लाने की स्थिति में उसे सामान्य श्रेणी में आ जाते थे। इससे सामान्य श्रेणी की सीटें कम हो जाती थीं। इससे सामान्य श्रेणी के युवाओं को नुकसान उठाना पड़ रहा था। नए सर्कुलर के अनुसार अगर किसी अभ्यर्थी ने आयु, अंक या शारीरिक दक्षता के लिए आरक्षण के तहत छूट ले ली है तो उसके द्वारा अधिक अंक लाने पर भी सामान्य श्रेणी में गिनती नहीं की जाएगी। अंतिम लिस्ट में उसे आरक्षण वाली श्रेणी में लिया जाएगा। बेशक उसने परीक्षा में टॉप ही क्यों न किया हो।