जयपुर. एक बार फिर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने 18 अक्टूबर से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। छोटी-छोटी बातों को मनवाने के लिए हड़ताल पर जाने के इस रवैये से मरीज और आमजन की परेशानी को देखते हुए सरकार ने भी अब इन रेजिडेंट्स पर सख्ती करने की तैयारी कर ली। हाईकोर्ट के आदेशों की अवेहलना कर जेएलएन मार्ग पर जुलूस निकालने के मामले में पिछले दिनों एसएमएस थाना पुलिस ने नोटिस जारी करके तीन दिन में जवाब मांगा था, लेकिन जवाब नहीं देने पर अब पुलिस प्रशासन इन पर एक्शन की तैयारी कर रहा है। इधर, मेडिकल कॉलेज प्रशासन और सरकार भी हड़ताल की चेतावनी को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्थाएं करने के साथ हड़ताल करने वाले डॉक्टर्स पर कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जो बॉन्ड रेजिडेंट्स से भरवाए हैं उनकी शर्तों के तहत कार्यवाही करने पर विचार कर रही है। वर्तमान में जूनियर रेजीडेंट (फर्स्ट और सेकेंड ईयर रेजिडेंट) आंदोलन के तौर पर पिछले 8 दिन से आंदोलन कर रहे है। वे हर रोज दो घंटे इलेक्टिव सर्विसेज का बहिष्कार कर रहे है। जयपुर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मनोहर सियोल ने पत्र जारी कर 18 अक्टूबर से सम्पूर्ण कार्य का बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। इस हड़ताल में केवल जूनियर रेजिडेंट्स (फर्स्ट और सेकेंड ईयर रेजिडेंट) ही हड़ताल में शामिल होने की बात कह रहे है, जबकि फाइनल ईयर स्टूडेंट्स ने हड़ताल से खुद को दूर रखा है। क्योंकि दिसंबर में उनके एग्जाम है। वहीं अधिकांश फाइनल ईयर स्टूडेंट्स भी सबमिट नहीं हुए। एसएमएस के ही सीनियर डॉक्टर्स के मुताबिक हर पीजी स्टूडेंट्स को एडमिशन के समय बॉन्ड भरवाया जाता है, जिसमें कुछ शर्तें होती है। इसमें स्टूडेंट इन शर्तों की पालना का शपथ पत्र भी देते हैं। हड़ताल करने या दूसरे ऐसे कार्य जिससे हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज प्रशासन या वहां भर्ती मरीज को कोई परेशानी होती है तो उस पर डॉक्टर का प्रैक्टिस लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच हॉस्पिटलों में हड़ताल की चेतावनी को देखते हुए प्रिसिंपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने सभी इन सर्विस डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने की मांग प्रशासन से की है। इसके साथ ही उन्होंने सीनियर डॉक्टर्स की भी राउंड द क्लॉक ड्यूटी चार्ट बनाने के निर्देश दिए है, ताकि त्योहार के समय मरीजों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े।
-इन प्रमुख मांगों पर हड़ताल
स्टूडेंट्स को मिल रहे स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और हर साल निश्चित दर से उसमें वृद्धि की जाए। पीजी या सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों को योग्यता के आधार पर नौकरी देने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) की सीधी भर्ती की जाए। हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था और बुनियादी ढांचे को पूर्व में हुए समझौते के अनुसार सुदृढ़ किया जाए। हॉस्टल की रहने की स्थिति में सुधार किया जाए। वर्तमान अनिवार्य बॉन्ड नीति में संशोधन किया जाए।

LEAVE A REPLY