जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने 62 साल की आयु पूरी कर चुके डॉक्टर्स को प्रशासनिक पदों पर नहीं लगाने पर मेडिकल शिक्षा सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी किए हैं। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. प्रदीप शर्मा की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने राजस्थान सर्विस रूल्स में संशोधन करते हुए गत तीस मार्च को नोटिफिकेशन जारी कर डॉक्टर्स की सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल से बढ़ाकर 65 साल कर दी। इसमें शर्त लगाई गई कि 62 साल से अधिक आयु के चिकित्सक को प्रशासनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा और वे शैक्षणिक व इलाज ही करेंगे। इस शर्त के कारण सरकार ने याचिकाकर्ता को गत एक अप्रैल को मानसिक चिकित्सा केन्द्र के अधीक्षक पद से हटा दिया और जूनियर चिकित्सक को अधीक्षक बना दिया।
याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने देश में अनुभवी चिकित्सकों की कमी के चलते सेवानिवृत्ति की आयु को 62 साल से बढ़ाकर 65 साल किया था। देश के अन्य राज्यों में ऐसी शर्त नहीं है कि 62 साल से अधिक उम्र के चिकित्सकों को प्रशासनिक पद पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। ऐसे में याचिकाकर्ता की सेवा जारी है तो उससे कनिष्ठ डॉक्टर को उनके स्थान पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर 18 अप्रैल तक जवाब मांगा है।