13 साल से लम्बित है 4.12 करोड़ रुपए के नुकसान का मुकदमा
जयपुर.। राज्य सरकार के उपक्रम विभाग में 35 साल पहले 1982 में हुए 4.12 करोड़ रुपए भ्रष्टाचार के मामले को लेकर एसीबी कोर्ट में 2००4 से चल रही ट्रायल में अंतिम गवाह रिटायर्ड आरपीएस अधिकारी बेनी माधव के बार-बार तलब करने पर भी गवाही देने नहीं आने पर न्यायाधीश बलजीत सिंह ने मंगलवार को एसीबी के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा कि 14 दिसम्बर को गवाह के नहीं आने पर गवाही बन्द कर दी जाएगी और फैसला खिलाफ होने के लिए एसीबी स्वयं जिम्मेदार होगी। इस मामले में आरोपी रहे आर.पी. अग्रवाल की 31 दिसम्बर, 2००7 को तथा एस.एन. कपूर की 3 अक्टूबर, 2०14 को मृत्यु हो चुकी है। उपक्रम विभाग में तकनीकी सलाहकार के पद से अग्रवाल 1 नवम्बर, 2००० को तथा प्रशासनिक अधिकारी के पद से कपूर 3० नवम्बर, 1995 को रिटायर्ड हो गए थे। सरकारी अफसरों को दोषी मानते हुए एसीबी कोर्ट ने मामले के आरोपी रहे डीडवाना कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार सुरेखा एवं अध्यक्ष व प्रबंधक रामेश्वर लाल तोषनीवाल को 31 मई, 2०17 को अपराध से उन्मोचित कर दिया था। अदालत में एक मात्र आरोपी उपक्रम विभाग में तत्कालीन बड़े बाबू के.एल. शर्मा के खिलाफ ट्रायल चल रही है। एसीबी ने प्रारम्भिक जांच कर 3० सितम्बर, 1998 को एफआईआर दर्ज कर 26 अक्टूबर 2००4 को कोर्ट में चालान पेश किया था।
यह था मामला : उपक्रम विभाग में उपरोक्त कम्पनी डीसीपीएल को 6 मई, 1981 को सोडियम सल्फेट प्लान्ट 33,91,००० रुपए वार्षिक किराए पर दिया था। लेकिन पट्टे धारक तोषनीवाल व कार्यकारी निदेशक सुरेखा ने 17 जून, 1982 को हुए अनुबंध के विपरित क्रूड सोडियम सल्फेट निकालने लगे। शिकायत पर सरकार ने 1० फरवरी, 1987 को लीज समाप्त कर दी। हाईकोर्ट ने मेड़ता सिटी के तत्कालीन डीजे बाबू सिंह को आवीर्टेशटर नियुक्त किया और डीजे ने 12 नवम्बर, 1991 को उपक्रम विभाग के पक्ष में फैसला दिया। केस का प्रभारी अधिकारी आर.पी. अग्रवाल था और आरोपी सुरेखा अग्रवाल का साला था, जिससे अवार्ड के आदेश की पालना नहीं करवाई। कम्पनी को उपरोक्त खनन करने से भी नहीं रोका, जिससे उपक्रम विभाग को 2 करोड़ 39 लाख 8० हजार रुपए, रीको को 1 करोड़ 37 लाख 1० हजार रुपए, आरएसईबी को 29 लाख एवं अनुदान के 5 लाख 8० हजार 5०० रुपए की राजकोष को क्षति पहुंची थी।