जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूर्व में विभिन्न विभागों को दिए गए निर्देशों एवं निर्णयों के क्रियान्वयन के संबंध में मुख्य सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। आर्य ने कहा कि राज्य सरकार जनकल्याण से जुड़ी योजनाओं का लाभ आमजन तक पूर्ण पारदर्शिता के साथ पहुंचाने के लिए प्रतिबध्द है।
मुख्य सचिव आर्य ने शुक्रवार को यहां शासन सचिवालय में सोशल ऑडिट, जन सूचना पोर्टल, आरटीआई को ऑनलाइन करने, स्वास्थ्य का अधिकार, जवाबदेही कानून, सिलिकोसिस, स्ट्रीट वेंडर और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों पर अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शीघ्र सोशल ऑडिट के लिए गवर्निंग बॉडी का गठन किया जाए। सोशल ऑडिट के जरिये आम लोग सशक्त होंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आमजन को राहत के लिए जो अतिरिक्त व्यय किया गया था उसका भी सोशल ऑडिट किया जाएगा।
आर्य ने आरटीआई पोर्टल पर विभागों को ऑनलाइन करने में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों को हिदायत दी कि तय समय सीमा में इसे पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि भू राजस्व में तेलंगाना मॉडल का अध्ययन कर राजस्थान की परिस्थितियों में उसे लागू किए जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि गांवों में भूमि बंटवारे को लेकर आ रही कुछ समस्याओं का समाधान आगामी ‘प्रशासन गांवों के संग’ अभियान में किया जाए।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों से स्ट्रीट वेंडर और नॉन स्ट्रीट वेंडर जोन बनाने को लेकर आ रही बाधाओं के बारे में भी जानकारी मांगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि उनके लिए उपयुक्त स्थान निर्धारित किया जाए।आर्य ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आंवटित होने वाले फंड की मॉनिटिरिंग की व्यवस्था की जाये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह पैसा जरुरतमंद लोगों पर ही खर्च किया जा सके।
इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, राजस्व, कृषि, गृह, सामाजिक न्याय, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज तथा संबंधित विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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