हैदराबाद। रोहित वेमुला के दलित होने संबंधित मामले की जांच करने वाली जिला स्तरीय समीक्षा समिति की रिपोर्ट के बाद अब आंध्रप्रदेश सरकार रोहित व उसके परिजनों को ओबीसी श्रेणी में लाने जा रही है। अब उन्हें दलित नहीं माना जाएगा। सरकार ने इस मामले में निर्णय लिया है कि रोहित और उसकी मां राधिका की ओर से फर्जी तरीके से जो अनुसूचित जाति के सर्टिफिकेट हासिल किए हैं। उन्हें रद्द कर दिया जाएगा। सरकार की ओर से जारी आदेशों के अनुसार इसमें रोहित का सर्टिफिकेट भी रद्द किया जाएगा। वैसे इस प्रक्रिया को अमल में लाने से पूर्व सरकार ने रोहित की मां राधिका को दो सप्ताह का एक शॉर्ट नोटिस दिया है। जिसमें यह प्रमाणित किया गया है कि क्यों नहीं उन्हें ओबीसी वर्ग में आने वाले वडेरा समुदाय से जोड़ दिया। अगर वे दलित है तो इस संबंध में दस्तावेज पेश कर दावे को साबित करें। गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोध छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। रोहित की मौत के बाद मामला देशभर में उछला। वहीं इस मामले में प्राप्त याचिका की जांच को लेकर जिला स्तरीय समीक्षा समिति बनाई गई। जिसे रोहित के दलित वर्ग से होने को लेकर चुनौती दी गई थी। गुंटूर के जिलाधिकारी कांतिलाल डंडे के अनुसार समिति ने अपनी जांच कर रिपोर्ट सौंपी। जिसके आधार पर अब यह फैसला लिया गया कि रोहित व उसकी मां राधिका की ओर से जो फर्जी तरीके से जो सार्टिफिकेटस प्राप्त किए है। उन्हें रद्द कर दिया जाए। अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार रोहित की रिपोर्ट को केन्द्र सरकार के समक्ष भेजा सकता है। इस मामले में गुंटूर के राजस्व अधिकारियों ने गुरजाला गांव का दौरा कर रिपोर्ट तैयार की जिसमें रोहित के वडेरा होने, दलित नहीं होने की बात सामने आई।

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