– फर्जी परीक्षार्थी को भूलने पर कोर्ट ने कमिश्नर से मांगा जवाब
जयपुर। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से 22 मई, 2011 को आयोजित प्री मेडिकल टैस्ट-पीएमटी-2011 में जोधपुर स्थित हनुमन्त सीनियर सैकण्डरी स्कूल, जोधपुर में फर्जी परीक्षार्थी से परीक्षा दिलवा कर उर्त्तीण हुए छात्र लाभार्थी चेतन राम मेघवाल,जालोर को एडीजे-12 कोर्ट,जयपुर जज तिरुपति कुमार गुप्ता ने 3 साल की जेल एवं 15 हजार रुपए के जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। इस मामले में प्रताप नगर थाना पुलिस ने छात्र चेतन राम को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया था तथा मुख्य अभियुक्त परीक्षा देने वाला मानवेन्द्र सिंह विश्नोई उर्फ मानाराम उर्फ विक्रम के खिलाफ जांच धारा 173 (8) में लम्बित रखी थी। 6 साल में भी पुलिस के अंतिम नतीजा पेश नहीं करने पर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को इस संबंध में जांच करा कर अंतिम नतीजा अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं। अदालत में सरकार की ओर से लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने पैरवी की। विश्वविद्यालय की तत्कालीन कुलसचिव अनुप्रेरणा कुन्तल ने प्रतापनगर थाने में रिपोर्ट दी थी कि 24 जुलाई, 2०11 को आरपीएमटी-2०11 की काउन्सलिंग के समय मैरिट (क्रमांक 1771) में आए छात्र चेतनराम की बायोमैट्रिक व स्टिल फोटोग्राफ परीक्षा केन्द्र में उपस्थित छात्र से मेल नहीं खाए। परीक्षा किसी अन्य छात्र ने दी थी। पुलिस ने चेतन राम के खिलाफ धारा 467, 468, 471, 42०, 419 एवं 12० बी में चालान पेश किया। एसीएमएम-4 कोर्ट ने 2 फरवरी, 2०12 को धारा 467, 468 व 481 में उन्मोचित कर दिया एवं धारा 419, 42० व 12० बी में आरोप सुनाए। कोर्ट में अनुप्रेरणा कुन्तल, हिलेरी शर्मा, डॉ. दिनेश, डॉ. सुभाष नेपालिया और डॉ. रविन्द्र कुमार के बयान होने के बाद 12 सितम्बर, 2०12 को चेतनराम ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। तत्कालीन पीठासीन अधिकारी सुरेश प्रकाश ने चेतनराम को तीनों धाराओं में दोषी मानते हुए परिवीक्षा का लाभ दे दिया और मुकदमा खर्च 2०० रुपए जमा कराने के आदेश दे दिए। आदेश को सरकार ने डीजे कोर्ट में चुनौती दी थी, चेतन राम मेघवाल को 3 साल की जेल एवं 15 हजार रुपए के जुर्माने की सजा से दण्डित किया.