Bird collides with a plane at Jodhpur Airport, a big accident
Bird collides with a plane at Jodhpur Airport, a big accident
delhi.नागरिक उड्यन मंत्रालय ने आज हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों के द्वारा अभद्र और परेशानी पैदा करने वाले व्यवहार पर नियंत्रण के लिये नियम जारी किये। मीडिया से बातचीत में नागिरक विमानन मंत्री पी. अशोक गजपति राजू ने कहा कि नये नियमों की मदद से ऐसे अभद्र यात्रियों की एक राष्ट्रव्यापी सूची तैयार की जा सकेगी। उन्होंने कहा भारत द्वारा उड़ान भरने से प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची तैयार करना दुनिया में इस तरह का पहला कदम है। सुरक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुये राजू ने कहा कि इस सूची का विचार केवल सुरक्षा खतरे पर नहीं बल्कि यात्रियों, विमान कर्मियों और विमान की सुरक्षा की चिंता पर आधारित है।

डीजीसीए ने इसके लिये नागर विमानन आवश्यकता ( अभद्र यात्रियों से निपटना: सीएआर सेक्शन 3, सीरीज -एम, खण्ड VI) के प्रासंगिक नियमों में बदलाव किया है ताकि हवाई यात्रा के दौरान अभद्रता करने वाले यात्रियों से निपटा जा सके। यह संशोधन 1963 के टोक्यो समझौते के प्रावधानों के अनुसार है।
संशोधित नियम हवाई यात्रा के दौरान अभद्र यात्रियों से निपटने से संबंधित हैं। हवाई अड्डों पर यात्रियों के अभद्र व्यवहार से निपटना प्रचलित दण्ड कानूनों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी रहेगा। संशोधित नियम सभी भारतीय एयरलाइनों पर लागू होगा जिसमें सूचित एवं अनुसूचित एवं ढुलाई सेवायें शामिल हैं, यह भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों दोनों के मामलों में लागू होगा।
1963 के टोक्यो समझौते के अनुसार यह नियम विदेशी एयरलाइन्स पर भी लागू होगा। इस मौके पर नागर विमानन राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने कहा कि नये नियम सभी संबंधित पक्षों से व्यापक बातचीत के बाद तैयार किये गये हैं। इनका उद्देश्य हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों, विमान चालक दल और एयरलाइन के हितों की सुरक्षा करना है।
नये नियमों में अभद्र व्यवहार के तीन स्तर परिभाषित किये गये हैं, पहले स्तर में मौखिक अभद्रता शामिल है जिसमें 3 महीने तक के प्रतिबंध का प्रावधान है; दूसरे स्तर में शारीरिक रूप से भी अभद्रता शामिल है जिसके लिये 6 महीने का प्रतिबंध हो सकता है, तीसरे स्तर में जीवन को जोखिम में डालने वाली अभद्रता है जिसके लिये कम से कम प्रतिबंध 2 वर्ष का है।

अभद्रता की शिकायत पायलट-इन-कमाण्ड के द्वारा दर्ज करायी जायेगी जिसकी जांच विमान कंपनी द्वारा गठित एक आंतरिक समिति द्वारा की जायेगी। इस समिति के अध्यक्ष एक सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश होंगे और इसमें विमान कंपनियों, यात्री संगठनो, उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि और जिला उपभोक्ता परिषद के सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल होंगे। नियमों के मुताबिक समिति को 30 दिनों में फैसला लेना होगा और यात्री पर प्रतिबंध की अवधि तय करनी होगी। जांच पर फैसला आने की पहले की अवधि के दौरान संबंधित एयरलाइन उस यात्री के उड़ान भरने पर रोक लगा सकेगी। और अभद्रता की पुनरावृत्ति पर दण्ड की अवधि पहले से दुगुनी होगी।
एयलाइन्स को यह सूची साझा करनी होगी और यह डीजीसीए की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी। लेकिन दूसरी विमान कंपनियां इसको मानने के लिये बाध्य नहीं होंगी। इस सूची में दो तरह के यात्री होंगे, पहला जिन्हें अवधि विशेष के लिये प्रतिबंधित किया गया है और दूसरा जिन्हें गृहमंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा माना गया है। दूसरी सूची वेबसाइट पर जारी नहीं की जायेगी।

संशोधित नियमों में प्रतिबंध के खिलाफ अपील का भी प्रावधान है। पीड़ित व्यक्ति (जिसमें गृहमंत्रालय से प्रतिबंधित व्यक्ति शामिल नहीं हैं), प्रतिबंध के 60 दिनों के अंदर नागर विमानन मंत्रालय द्वारा अपीलीय अधिकरण के सामने अपील दाखिल कर सकेंगे, इस समिति में उपभोक्ता समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

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