डीजीसीए ने इसके लिये नागर विमानन आवश्यकता ( अभद्र यात्रियों से निपटना: सीएआर सेक्शन 3, सीरीज -एम, खण्ड VI) के प्रासंगिक नियमों में बदलाव किया है ताकि हवाई यात्रा के दौरान अभद्रता करने वाले यात्रियों से निपटा जा सके। यह संशोधन 1963 के टोक्यो समझौते के प्रावधानों के अनुसार है।
संशोधित नियम हवाई यात्रा के दौरान अभद्र यात्रियों से निपटने से संबंधित हैं। हवाई अड्डों पर यात्रियों के अभद्र व्यवहार से निपटना प्रचलित दण्ड कानूनों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी रहेगा। संशोधित नियम सभी भारतीय एयरलाइनों पर लागू होगा जिसमें सूचित एवं अनुसूचित एवं ढुलाई सेवायें शामिल हैं, यह भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों दोनों के मामलों में लागू होगा।
1963 के टोक्यो समझौते के अनुसार यह नियम विदेशी एयरलाइन्स पर भी लागू होगा। इस मौके पर नागर विमानन राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने कहा कि नये नियम सभी संबंधित पक्षों से व्यापक बातचीत के बाद तैयार किये गये हैं। इनका उद्देश्य हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों, विमान चालक दल और एयरलाइन के हितों की सुरक्षा करना है।
नये नियमों में अभद्र व्यवहार के तीन स्तर परिभाषित किये गये हैं, पहले स्तर में मौखिक अभद्रता शामिल है जिसमें 3 महीने तक के प्रतिबंध का प्रावधान है; दूसरे स्तर में शारीरिक रूप से भी अभद्रता शामिल है जिसके लिये 6 महीने का प्रतिबंध हो सकता है, तीसरे स्तर में जीवन को जोखिम में डालने वाली अभद्रता है जिसके लिये कम से कम प्रतिबंध 2 वर्ष का है।
एयलाइन्स को यह सूची साझा करनी होगी और यह डीजीसीए की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी। लेकिन दूसरी विमान कंपनियां इसको मानने के लिये बाध्य नहीं होंगी। इस सूची में दो तरह के यात्री होंगे, पहला जिन्हें अवधि विशेष के लिये प्रतिबंधित किया गया है और दूसरा जिन्हें गृहमंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा माना गया है। दूसरी सूची वेबसाइट पर जारी नहीं की जायेगी।
संशोधित नियमों में प्रतिबंध के खिलाफ अपील का भी प्रावधान है। पीड़ित व्यक्ति (जिसमें गृहमंत्रालय से प्रतिबंधित व्यक्ति शामिल नहीं हैं), प्रतिबंध के 60 दिनों के अंदर नागर विमानन मंत्रालय द्वारा अपीलीय अधिकरण के सामने अपील दाखिल कर सकेंगे, इस समिति में उपभोक्ता समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।