नई दिल्ली. बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने एक नाबालिग लड़की (ब्रिटिश नागरिक) की मृत्यु से सम्बन्धित मामले में सैमसन डिसूजा (निजी व्यक्ति) को कुल 2.60 लाख रू. के जुर्माने सहित 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की रकम पीडि़ता की माता को अदा की जाएगी।
सीबीआई ने दिनांक 28.05.2008 की भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में दिनांक 05.06.2008 को मामला दर्ज किया एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के तहत दो निजी व्यक्तियों यथा सैमसन डिसूजा एवं प्लैसिडोकारवल्हो के विरूद्ध अन्जुना पुलिस स्टेशन (गोवा) में दिनांक 09.03.2008 को पूर्व में दर्ज प्राथमिक रिर्पोट संख्या 21/2008 की जॉंच को अपने हाथों में लिया। ऐसा आरोप था कि दिनांक 18.02.2008 को गोवे कारवड्डो, शोर बार, अन्जुना के पास समुद्र में एक लड़की के मृत शरीर के तैरने के बारे में अज्ञात व्यक्ति के द्वारा अन्जुना पुलिस को सूचना प्राप्त हुई। उसके पश्चात, मृत शरीर को समुद्र से निकाला गया और पहचान की गई कि वह लगभग 15 वर्ष 8 महीने की नाबालिग लड़की है। गोवा पुलिस ने दिनांक 31.05.2008 को सैमसन डिसूजा तथा प्लैसिडो कारवल्हो के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया।
सीबीआई ने मामलें में गहन जॉंच की और बाल न्यायालय, पणजी (गोवा) में दिनांक 21.10.2009 को आरोपी सैमसन डिसूजा एवं प्लैसिडो कारवाल्हो के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया। दिनांक 23.09.2016 को बाल-न्यायालय, पणजी ने दोनो आरोपी व्यक्तियों को बरी करने का निर्णय सुनाया। सीबीआई ने तब बाल-न्यायालय, पणजी के दिनांक 23.09.2016 के आदेश के विरूद्ध गोवा की माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष दाण्डिक अपील दायर की।
माननीय बॉंम्बे उच्च न्यायालय, गोवा ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 328, 354, 304(।।) तथा 201 और गोवा बाल अधिनियम की धारा 8 के तहत आरोपी सैमसन डिसूजा को दिनांक 17.07.2019 को दोषी ठहराया एवं अन्य आरोपी प्लैसिडो कारवाल्हो को बरी किया।