जयपुर। शहर की सांगानेर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला रहेगा। भाजपा को अलविदा कहने वाले मौजूदा विधायक घनश्याम तिवाड़ी इस बार भारत वाहिनी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे। पिछला चुनाव तिवाड़ी ने साठ हजार से अधिक वोटों से जीता था। हालांकि अब वे भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल से नहीं लड़ेंगे, बल्कि बांसुरी के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा को टक्कर देंगे। भाजपा और कांग्रेस भी इस सीट को जीतने के लिए मजबूत प्रत्याशी उतारेगी। मौजूदा विधायक घनश्याम तिवाड़ी से ही भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी की टक्कर रहेगी। ब्राह्मण, सिंधी-पंजाबी बहुल इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने की चर्चा है। इस वजह से दोनों ही दलों में ब्राह्मण दावेदार जबरदस्त लॉबिंग कर रहे हैं। सांगानेर सीट पर सीएम वसुंधरा राजे का पूरा फोकस है। फीडबैक कार्यक्रम में सांगानेर सीट से भाजपा दावेदारों से सीएम राजे मिली और उनसे मजबूत प्रत्याशी एवं जीत के समीकरण जाने। तिवाड़ी वसुंधरा राजे के प्रखर विरोधी रहे हैं और गाहे-बगाहे तिवाड़ी ने कई मौकों पर राजे पर जमकर निशाने साधे है।
इस वजह से राजे भी नहीं चाहेगी कि तिवाड़ी सांगानेर से जीते। ऐसे में सांगानेर सीट पर मजबूत प्रत्याशी पार्टी उतारेगी। संभावना है कि आरएसएस समर्पित कार्यकर्ता, ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ नेता व एक केबिनेट मंत्री को पार्टी सांगानेर से चुनाव में उतार सकती है। इस सीट पर आरएसएस और उसके आनुषांगिक संगठन भी काफी सक्रिय है। इसी तरह कांग्रेस भी इस सीट को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। दो दशक पहले यह सीट कांग्रेस के पास थी। इंदिरा मायाराम को हराकर भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी सांगानेर सीट से जीते और तभी से यह सीट भाजपा के पास है। तिवाड़ी के भाजपा छोडऩे और भारत वाहिनी से चुनाव लडऩे से कांग्रेस को आस बंधी है कि यह सीट वह जीत सकती है। इस सीट पर कांग्रेस का अपना वोट बैंक है। हालांकि शहरी क्षेत्र अधिक होने से इस सीट पर बीजेपी का प्रभाव ज्यादा है। तिवाड़ी के चुनाव लडऩे से भाजपा का वोट बैंक में बिखराव आएगा और इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। भाजपा की तरह कांग्रेस में भी इस सीट पर एक दर्जन से अधिक दावेदार है, लेकिन मजबूती से तीन-चार नाम ही ज्यादा सामने है। कांग्रेस ने इस सीट से मजबूत और स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिया तो दो दशक बाद यह सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है, हालांकि भाजपा भी इस सीट को बरकरार रखने में पूरा जोर लगाएगी तो घनश्याम तिवाड़ी भी फिर से विधायक बनने के लिए चुनावी मैदान में सक्रिय हो चुके हैं।
– कांग्रेस में ये है मजबूत दावेदार
पिछली बार साठ हजार से मतों से हारने वाले संजय बाफना इस बार मालवीय नगर से टिकट मांग रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके सुरेश मिश्रा फिर से जोर-शोर से दावेदारी जता रहे हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष पुष्पेन्द्र भारद्वाज भी एक दशक से टिकट को लेकर संघर्षरत है। इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार है। छात्र राजनीति से सांगानेर में सक्रिय रहे और राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विभूति भूषण शर्मा भी मजबूत दावेदार है। शर्मा ने गौरव यात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग, लोकायुक्त एसएस कोठारी को नियम विरुद्ध तरीके से एक्सटेंशन देने जैसे ज्वलंत मुद्दों को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती देकर भाजपा सरकार को घेरा था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी विभूति भूषण शर्मा के इन प्रयासों की प्रशंसा कर चुके हैं। विभूति भूषण कांग्रेस घोषणा पत्र कमेटी के सदस्य भी है। सिंधी पंजाबी बहुल होने के कारण सुनील पारवानी भी मजबूती से अपना दावा जता रहे हैं। समाज भी इनके नाम की पैरवी कर चुका है। सांगानेर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बिरदी चंद शर्मा, पूर्व पार्षद मनमोहन गुर्जर, लेखराज सैनी, हेमलता शर्मा भी इस सीट से तगड़ी दावेदारी जता रहे हैं। अब देखना है कि कांग्रेस किस पर भरोसा करती है।
– भाजपा में दावेदारों की लंबी लिस्ट
कांग्रेस की तरह भाजपा में भी दावेदारों की लंबी कतार है। जयपुर मेयर अशोक लाहोटी, जयपुर शहर अध्यक्ष संजय जैन, सुमन शर्मा, विष्णु लाठा, राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला, जितेन्द्र श्रीमाली आदि टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। सांसद रामचरण बोहरा भी टिकट की कतार में है। देखना है कि सांसद को पार्टी टिकट दे पाती है या नहीं? इस सीट पर आरएसएस से जुड़े रवीन्द्र शर्मा भी टिकट के प्रबल दावेदार है और मजबूती से दावेदारी जता रहे हैं। सिंधी-पंजाबी समाज की अच्छी तादाद को देखते हुए यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी की नजर भी यहां से है। केबिनेट मंत्री अरुण चतुर्वेदी भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। अगर पार्टी ने मौका दिया तो। वैसे भाजपा के लिए यह सीट हॉट बनी हुई है। इस वजह से सीएम वसुंधरा राजे की इस सीट के दावेदारों पर पूरी नजर है।