नई दिल्ली। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार केन्द्र सरकार ने देश में सबसे बड़े बैंकिंग एकीकरण को अपनी हरी झंडी दे ही दी। केन्द्र सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक में पांच सहायक बैंकों के विलय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। इस विलय से अभी भारतीय महिला बैंक को दूर ही रखा गया है। अभी तक जो जानकारी सामने आई है कि उसके अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में इसके प्रभावी होने की संभावना कम है। फिर भी नए वित्तीय वर्ष से इसको अमलीजामा पहना दिया जाएगा। जिन पांच सहायक बैंकों को एसबीआई में मर्ज किया जाएगा। उनमें एसबीबीजे, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शामिल हैं। मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया कि बैंकों के विलय से उनके बीच अच्छा तालमेल होने के साथ ही परिचालन लागत में कमी आएगी। वहीं एक अन्य अधिकारी ने बतासया कि विलय के पहले साल में ही बैंक को 1,000 करोड़ रुपए बचत होगी। विलय संबंधी सवालों के जवाब में वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों के हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। इस मामले में पहले एसबीआई चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य का कहना था कि विलय का कार्य एक तिमाही टल सकता है। पहले इसे मार्च 2017 में विलय की योजना थी। एसबीआई ने मर्ज संबंधित प्रस्ताव को गत वर्ष मई माह में मंजूरी दी थी। फिर जून 2016 में कैबिनेट ने इसको सैद्घांतिक रुप से स्वीकृति दे दी थी। बाद में प्रस्ताव संबंधित बैंकों और एसबीआई के बोर्ड के पास भेजा गया, जहां से इसे स्वीकृति दे दी गई। पांच बैंकों के मर्ज होने से एक बड़ी बैंकिंग इकाई उभरकर सामने आएगी। जिसकी परिसंपत्ति 37 लाख करोड़ रुपए होगी। जो देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक से करीब 5 गुना होगा। वहीं मर्ज होने के बाद एसबीआई की कुल शाखाएं 22,500 होगी और देशभर में 58,000 एटीएम होंगे। कुल ग्राहक 50 करोड़ से ज्यादा होंगे। फिलहाल एसबीआई का शेयर गुरुवार को 0.68 फीसदी की गिरावट के साथ 268.65 रुपए पर बंद हुआ।