जयपुर। सुखी जीवन, वैभव और स्वास्थ्य की मनोकामना को पूरा करने का पर्व कहलाता है धन तेरस, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। और इस दिन से दिपावली का पांच दिवसीय पर्व भी शुरु होता है। धनतेरस के दिन से बाजारों में रौनक भी शुरु हो जाती है। धनतेरस के दिन सौभाग्य और सुख की वृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है. वैसे हर पूजा के कुछ नियम होते हैं और धनतेरस के दिन भी कई बातों और सावधानियों को ध्यान में रखना जरूरी है.
धनतेरस की पूजा में मूर्तियों के स्थान का ध्यान रखें. उदाहरण के तौर पर, एक ही भगवान की मूर्ति साथ-साथ ना रखें. लक्ष्मी मां की मूर्ति हमेशा भगवान गणेश (बाएं) और मां लक्ष्मी सरस्वती (दाएं) के बीच में होनी चाहिए.
धनतेरस और दिवाली की पूजा में यह बात ध्यान में रखें कि मूर्तियां बैठी हुई मुद्रा में हों और कमरे के दरवाजे की तरफ उनका मुख ना हो. मूर्तियों का चेहरा भी एक-दूसरे की तरफ नहीं होना चाहिए. मूर्तियों को उत्तर-पूर्वी दिशा में रखना सबसे शुभ है. कलश पूजा कमरे के पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.
वास्तु के अनुसार, धनतेरस की पूजा ईशान कोने में होनी चाहिए. यह कोना घर के उत्तर-पूर्व में पड़ता है. इसे सकारात्मक ऊर्जा का कोना कहा जाता है.
अगर आप किसी वजह से इस कोने का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं तो आप पूजा के लिए पूर्व दिशा का इस्तेमाल कर सकते हैं. उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व दिशाएं सामान्यत: समृद्धि और कार्य के लिए वास्तु में शुभ मानी गई हैं. आपको पूजा कक्ष में काले या गहरे रंगों का पेन्ट नहीं कराना चाहिए.
दिवाली से पहले हर कई घर के कोने-कोने की सफाई करता है लेकिन अगर आपके घर में धनतेरस के दिन तक कूड़ा-कबाड़ या खराब सामान पड़े हुए हैं तो आप वास्तव में अपने घर आने वाली सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल रहे हैं. घर की साफ-सफाई के साथ यह भी जरूरी है कि आपके घर में कोई भी पुराना या बेकार सामान ना पड़ा रहे. नई ऊर्जा के लिए घर से सारी बेकार वस्तुएं या इस्तेमाल में ना हो रहीं चीजों को फेंक दें.
घर के मुख्य द्वार या मुख्य कक्ष के सामने तो बिल्कुल भी बेकार वस्तुएं ना रखें. मुख्य द्वार को नए अवसरों से जोड़कर देखा जाता है. धनतेरस के दिन तक घर की साफ-सफाई ना जारी रखें. ध्यान रखें कि घर के किसी कोने में इस दिन गंदगी ना रहे.
अगर आप धनतेरस पर सिर्फ कुबेर की पूजा करने वाले हैं तो ये गलती ना करें. आज धन्वन्तरी देवता की उपासना भी जरूरी है अन्?यथा पूरे साल बीमार रहेंगे. इस दिन शीशे के बर्तन ना खरीदें. शीशे का संबंध राहु ग्रह से माना गया है इसलिए धनतेरस के दिन शीशा खरीदकर राहु के आगमन को न्योता देना है.