इलाहाबाद.कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते है। अदालत ने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता महिला को मेरठ स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जहां उसका पति और सास ससुर रहते हैं।न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बरेली के एक प्राइमरी स्कूल में कार्यरत सहायक अध्यापिका की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
अदालत ने याचिकाकर्ता की पहचान और उस संस्थान का नाम उजागर नहीं किया है जहां वह कार्यरत है।इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ता अध्यापिका की साढ़े तीन साल की बेटी है जिसे वह अपने साथ ही रखती है, जबकि उसके पति और सास-ससुर मेरठ में रहते हैं। इस महिला की मासूम बच्ची का उस संस्थान के हेडमास्टर द्वारा स्कूल परिसर में यौन शोषण किया गया जिसके लिए उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
विभाग के उच्च अधिकारियों को एक विस्तृत शिकायत पत्र भी दिया गया और महिला का स्थानांतरण बरेली से मेरठ करने का अनुरोध किया गया। इस शिकायत के बाद महिला को प्रताड़ित किया गया और उसे जान से मारने की धमकी दी गई।अदालत ने पाया कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच की गई। अधिकारी ने इस घटना की पुष्टि की एवं याचिकाकर्ता को स्थानांतरित करने की सिफारिश की।
अदालत ने पाया कि राज्य सरकार इस मामले में कार्यस्थल पर महिला का यौन शोषण (रोकथाम, निषेध एवं उपचार) कानून, 2013 के तहत उपलब्ध प्रावधानों को लागू करने में पूर्ण विफलता रही है और साथ ही 1997 में विशाखा के मामले में उच्चतम न्यायालय निर्देशों का भी अनुपालन नहीं किया गया जिसमें महिला कर्मचारी की सुरक्षा के लिए निर्देश दिये गये थे।